भारत-नेपाल समझौते के विपरीत क्यों हो जाती है “सोनौली-सीमा” ?
भारत-नेपाल समझौते के विपरीत क्यों हो जाती है “सोनौली-सीमा” ?
आई एन न्यूज बार्डर स्पेशल:नेपाल! भारत का सबसे प्रगाढ़ मित्र राष्ट्र माना जाता है। तमाम समाजिक व सांस्कृतिक समानताओं के कारण दोनों देश सदियों से रोटी-बेटी तक के रिश्ते से जुड़े हैं।
भारत-नेपाल के बीच कई महत्वपूर्ण मैत्रीपूर्ण समझौतें हैं। खुली सीमा व उनसे बेरोकटोक आवागमन उसी समझौते का एक हिस्सा है।
मगर पिछ़ले तीन दशकों में आवागमन व हरकतों का दायरा सोनौली सीमा के इर्द गिर्द तक सीमित हो जाना कई सवाल खड़े कर रहा है।
सौनौली सीमा से आतंकवादी पकड़े जाना, नारकोटिक्स, गोल्ड व घुसपैठ करते विदेशियों की धरपकड़ अब एक आमबात हो गयी है। या फिर यह कहा जा सकता है कि सौनौली सीमा विभागों का “वर्क आउट स्पेश” हो गया है।
मगर इस सीमा पर कई वाकये ऐसे भी हो जाते हैं, जो भारत-नेपाल समझौते के विपरीत हो जाते हैं।
जैसे कि आवागमन कर रहे लोगों की एकाएक व्यापक सघन जांच के बहाने सम्मानित लोगों के साथ दुर्व्यवहार होने लगना, मालवाहक वाहनों को अचानक रोक दिये जाना।
ये ऐसे दो प्रमुख प्रकरण हैं, जो आये दिन भारत-नेपाल रिश्तों की खटास का प्रमुख कारण बनते हैं।
करीब ढ़ाई वर्ष पूर्व नेपाल में मधेशी आंदोलन के दौरान सौनौली सीमा से नेपाल जाने वाले पर रोक लग गयी। नेपाल ने भारत पर आर्थिक नाकाबंदी का आरोप लगा कर संयुक्त राष्ट्र तक मामला उठा दिया। जिसमें भारत को सफाई तक देनी पड़ी।
सोनौली सीमा पर ही पकड़े गये कथित आतंकी लियाकत अली मामला भी काफी विवाद में रहा।
सवाल यह है कि इस तरह के तमाम विवाद सोनौली सीमा से ही क्यों उत्पन्न होते हैं? या फिर सोनौली सीमा पर तैनात विभागों को भारत-नेपाल समझौते की कम जानकारी है? या फिर कुछ़ और भी कारक है जो आये दिन सौनौली सीमा को समझौते के विपरीत हरकत करा देता है। ,,और उस कारक को पकड़ेगा कौन?
सोनौली बॉर्डर से धर्मेंद्र चौधरी की एक विशेष रिपोर्ट