2 अक्टूबर:गांधी जयंती पर महात्मा गांधी के यादगार 20 वनलाइनर संदेश

2 अक्टूबर:गांधी जयंती पर महात्मा गांधी के यादगार 20 वनलाइनर संदेश

2 अक्टूबर: गांधी जयंती पर महात्मा गांधी के यादगार 20 वनलाइनर संदेश2 अक्टूबर:गांधी जयंती पर महात्मा गांधी के यादगार 20 वनलाइनर संदेशआई एन न्यूज़ डेस्क नई दिल्ली: 2 अक्टूबर को हर साल उस महात्मा के नाम समर्पित किया जाता है जिन्होंने देश को हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलने की शिक्षा दी है. दरअसल, 2 अक्टूबर 1869 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था. साल 1948 में उनकी मत्यु के बाद से ही हर साल 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है. महात्मा गांधी ने पूरी दुनिया को यह सीख दी है कि बिना किसी हिंसा के कोई भी लड़ाई लड़ी जा सकती है.2 अक्टूबर:गांधी जयंती पर महात्मा गांधी के यादगार 20 वनलाइनर संदेशमहात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे. महात्मा गांधी हमेशा यह कहते थे कि अगर कोई एक थप्पड़ मारे तो उसे दूसरा गाल दे देना चाहिए. क्योंकि आपकी विनम्रता से सामने वाला इंसान जरूर एक न एक दिन पिघल ही जाएगा.2 अक्टूबर:गांधी जयंती पर महात्मा गांधी के यादगार 20 वनलाइनर संदेशमहात्मा गांधी के जन्म दिन पर आज हम आपको कुछ कुछ ऐसे ही Quotes बताने जा रहे हैं, जिन्हें आप अपने दोस्तों और जानकारों को भेजकर बापू को श्रद्धांजलि दे सकते हैं.खास बात यह है कि भारत में इस दिन को गांधी जयंति के नाम से और पूरे विश्व में इस दिन को अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है.गांधी जी ने वकालत की शिक्षा इंग्‍लैंड में ली थी. वहां से लौटने के बाद आपने बंबई में वकालत शुरू की. इसके बाद उन्होंने यहां के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया.1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अनेकों कार्यक्रम चलाए.गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में 1930 में नमक सत्याग्रह आंदोलन शुरु किया. इसके बाद 1942 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से छेड़ा. गांधी जी ने अपने पूरे जीवन में कभी भी कोई राजनीति पद नहीं लिया. महात्मा गांधी के नाम को रिकॉर्ड पांच बार नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया था.महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था. गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया, उन्हें बापू के नाम से भी याद किया जाता है.सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएं मांगीं थीं.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा कहे गए वो अनमोल वचन:-

“कुरीति के अधीन होना कायरता है,

उसका विरोध करना पुरुषार्थ है..”

“मृत, अनाथ, और बेघर को इससे क्या फर्क पड़ता है,

कि यह तबाही सर्वाधिकार या फिर स्वतंत्रता या लोकतंत्र के पवित्र नाम  पर लायी जाती है?”

“मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वज़ह नहीं है.

जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूं…”

“क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं.”

“पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है.

किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी…”

“केवल प्रसन्नता ही एकमात्र इत्र है,

जिसे आप दुसरो पर छिड़के तो उसकी कुछ बुँदे अवश्य ही आप पर भी पड़ती है…”

“जो समय बचाते हैं,

वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है”

 

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