निर्वासित जीवन जी रही माताओं को आत्मा का ज्ञान
निर्वासित जीवन जी रही माताओं को आत्मा का ज्ञान
अर्न्तराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस
आत्मज्ञान पाकर खिल उठे माताओं के चेहरे
विशेष संवाददाता.जफर खान
आई एन न्यूज ब्यूरो गोरखपुर:: देवभूमि कहे गये भारतवर्ष में जहां हर सुबह मां बाप के चरण छू कर ही दिन की शुरूआत होती थी आज उसी भारतखण्डियों को अर्न्तराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाने की जरुरत पड़ गयी। उक्त बातें चाणक्यपुरी स्थित वृद्ध महिला आश्रम पर आयोजित एक समारोह के दौरान आश्रम की संचालिका कनक त्रिपाठी ने कहते हुए अपने आप को धन्य माना कि उनके मां बाप की प्रेरणा से ही आश्रम में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रही चालीस वृद्ध महिलाओं की सेवा करने का उन्हें मौका मिला।
1 अक्टूबर को मनाये जा रहे अर्न्तराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के मौके पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मोहद्दीपुर केन्द्र से आयीं प्रभारी पुष्पा दीदी ने वृद्ध महिला आश्रम में रह रही माताओं को आत्मा का ज्ञान दिया। माताओं के भीतर के विषाद को शांति में बदलने की तरकीब बताया। ईश्वर से साक्षात्कार की युक्ति बताई। जीवन के इस चौथेपन में जी रही इन महिलाओं के लिए सबसे पीड़ाजनक बात यह है कि इनके अपनों ने ही इन्हें ठुकरा दिया और फिर वृद्धाश्रम का सहारा मिला। दिब्यनगर कालोनीवासी माता विजय लक्ष्मी श्रीवास्तव ने अर्न्तराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के मौके पर आश्रम में रह रही इन 40 माताओं के कुछ दिनों के खाने व अल्पाहार का प्रबन्ध किया तो वहीं सेण्ट्रल बैंक की अधिकारी चेतना ने उन्हें महीने भर के साबुन तेल आदि भेंट किया। इस मौके पर ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय परिवार से जुड़ी पम्मी, सुगन्धा, सुनीता, यश, अरविंद, चेतना आदि ने भी माताओं को ईश्वरीय ज्ञान दिया।
समाज का स्तर गिर चुका है : कनक
इस मौके पर आश्रम की संचालिका कनक त्रिपाठी ने कहा कि समाज का स्तर किस कदर गिर गया है यह चिंतन का विषय है। एक मां अपने चार बच्चों को पाल पोष कर बड़ा करती है और वही बच्चे बड़े हो कर एक मां की सेवा करने के बजाए उन्हें घर से ही बेदखल कर देते हैं।