महराजगंज:बौद्ध स्थल देवदह बनर्सिहा कला के विकास के प्रति जनप्रतिनिधि उदासीन

महराजगंज:बौद्ध स्थल देवदह बनर्सिहा कला के विकास के प्रति जनप्रतिनिधि उदासीन

महराजगंज:बौद्ध स्थल देवदह बनर्सिहा कला के विकास के प्रति जनप्रतिनिधि उदासीन

बौद्ध स्थल देवदह बनर्सिहा कला के विकास के प्रति जनप्रतिनिधि उदासीन 

गौतम बुद्ध अपने ननिहाल में ही उपेक्षित 

10 वर्षो से देवदह में 14 अक्टूबर को होता है विशाल बौद्ध महासम्मेलन

संवाददाता-विजय चौरसिया

इंडो नेपाल न्यूज़ ब्यूरो ::उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के नौतनवा विधानसभा का चर्चित बौद्ध स्थल देवदह बनर्सिहा कला जनप्रतिनिधियों व शासन की उदासीनता से उपेक्षित पड़ा है।जिम्मेदार लोग इसके विकास में रुचि लेते तो विश्व पटल पर लक्ष्मीपुर क्षेत्र को स्थान मिल जाता। हालांकि शासन प्रशासन भी कोई पहल करने में काफी पीछे है। लक्ष्मीपुर ब्लाक मुख्यालय से करीब 13 किमी उत्तर दिशा की तरफ स्थित बनर्सिहा कला के प्राचीन टीले, इतिहासकार कलिंगम स्तम्भ, राजमहल अवशेष, आधा दर्जन पोखरे आदि करीब 88 एकड़ पसरा हुआ है। डॉ परशुराम गुप्ता सहित तमाम इतिहासकारों ने इसे ही गौतम बुद्ध का ननिहाल देवदह बताया। जिसके बाद 1992 में तत्कालीन विधायक अमरमणि त्रिपाठी के पहल पर इस बौद्ध स्थल की खुदाई पुरातत्व विभाग द्वारा शुरू हुई। खुदाई में तमाम ऐसे अवशेष मिले जिससे इतिहासकारों को यकीन हो गया कि बनर्सिहा कला के प्राचीन टीले ही देवदह हैं। धनाभाव के कारण पुरातत्व विभाग को इस बौद्ध स्थल की खुदाई बीच मे ही रोकनी पड़ी। पुरातत्व विभाग ने बनर्सिहा कला के 88.80 एकड़ भूमि को संरक्षित कर किसी प्रकार से छेड़छाड़ कर के से प्रतिबंधित कर दिया। महराजगंज के तत्कालीन एसपी विजय कुमार ने इस बौद्ध स्थल का भ्रमण कर इसे ही देवदह बताया था। इसके बाद 1997 में इसी बौद्ध स्थल पर विजय कुमार ने एक बौद्ध सेमिनार करवा कर इसके विकास की अपील किया था। देवदह के विकास के लिये देवदह बौद्ध विकास समिति के अध्यक्ष जितेंद्र राव द्वारा वर्ष 2011 से ही हर साल अक्टूबर माह में बौद्ध सम्मेलन कराया जाता है। जिसमे दुनिया के तमाम बौद्ध राष्ट्रों से बौद्धधर्मावलम्बियों , बौद्ध भिक्षुओं की उपस्थिति होती है।
लेकिन शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधियों द्वारा इसके विकास में ध्यान नही दिया जा रहा है। वर्तमान में आलम यह है कि पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित 88 एकड़ भूमि पर चारो तरफ से स्थानीय लोग का अतिक्रमण कर रहे हैं। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू  बौद्ध यात्रा में  शामिल दर्जनों बौद्ध भिक्षु देवदह पहुँच कर टीले की पूजा अर्चना किये थे। साथ मे मौजूद सांसद पंकज चौधरी ने भी इसके विकास की बात दुहरायी थी। आज पूरी दुनियां में गौतम बुद्ध के अनुयायी बढ़ रहे हैं। लेकिन बुद्ध अपने  ननिहाल में ही उपेक्षित हो गए हैं।
पिछले 16 सितम्बर 2016 को  पर्यटन उपनिदेशक राजकुमार रावत ने में देवदह के प्राचीन बौद्ध टीलो का निरीक्षण किया था।  इस  दौरान उन्होंने कहा की शासन के निर्देस के क्रम में प्राचीन बौद्ध टीलो का विकास होगा । बौद्ध टीलो का भौतिक निरीक्षण करने के बाद उन्होंने कहा की शासन की मंशा के अनुरूप इन प्राचीन टीलो को पर्यटन के अनुरूप पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा। जिससे की तमाम बौद्ध राष्ट्रों के पर्यटक को यहाँ पहुचने में सुगमता हो। बताते चले कि स्थानीय देवदह बौद्ध विकास समिति जितेंद्र राव विगत कई वर्षो से शासन स्तर पर प्राचीन टीलो को पर्यटन स्थल बनाने की मांग कर रहे है।

 

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Translate »
  1. ब्रेकिंग न्यूज़: ऊ०प्र०- जिले की हर छोटी बड़ी खबर लाइव देखने के लिए
  2. जुड़े रहे इंडोनेपालन्यूज़ के फेसबुक पेज से, शहर के हर छोटी बड़ी खबर हम आपको लाइव दिखाएंगे