भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी के साथ पत्रकार गुड्डू जायसवाल के तीन घंटे…
भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी के साथ पत्रकार गुड्डू जायसवाल के तीन घंटे
इंड़ो नेपाल न्यूज के एक विशेष कार्यक्रम “चंद घंटे प्रत्याशी के साथ” में चीफ रिपोर्टर गुड्डू जायसवाल ने रविवार को भाजपा के नौतनवा प्रत्याशी जगदीश गुप्त के साथ बिताया। और जो कुछ़ देखा उसे कुछ़ इस तरह लिखा,,,
सुबह सात बजे जब मैंने देखा कि सफेद कुर्ता पायजामा पहने जगदीश गुप्त जनसंपर्क के लिये निकलने वाले थे, कुछ़ समर्थक भी थे। जगदीश गुप्त ने मुझे देखा मुस्कराये बोले आइए गुड्डू भाई क्या हालचाल है,,,।
मेरे मन में कुछ़ विचार चल पड़े कि एक पत्रकार आज अपने नेता स्वरुप का आग़ाज कर रहा है। विज्ञापन मांगने से मत मांगने के तरीके को देखने की तलब जाग गयी।
चलो देखें कि चंद घंटे एक पत्रकार से नेता परिवर्तन रुप का नज़ारा कैसा रहेगा। कहा कि जगदीश जी आज कुछ़ घंटे आपके साथ रहना है। गुप्त जी ने सहर्षता से मेरे न्यौते को स्विकार किया फिर शुरु हुआ,,सफर ,,
गाड़ी आयी सभी सवार हुए,,,पहला पड़ाव पुराना नौतनवा चौराहा आया। सभी गाड़ी से उतरे, पदयात्रा शुरु हो गयी। ड़ोर टू ड़ोर हाथ जोड़ने वोट मांगने का सिलसिला शुरु हो गया। मैं पीछ़े-पीछ़े ,,बड़ी मेहनत है भाई,, इंटरकालेज तक सभी पहुंचे। मुझे हंफरी आ गयी।
फिर गाड़ी आयी, मेरे जान में जान आ गयी। किसी से कुछ़ कहा नहीं । मुस्काराता रहा,, बड़ी मेहनत है नेता गिरी में।
फिर काफिला चला, अचानक रुक गया। जगदीश गुप्त की नज़र एक बुजुर्ग व्यक्ति पर पड़ी, जो कि अपने घर के द्वार पर खड़े मिले। सभी गाड़ी से उतरे जगदीश गुप्त ने बुजुर्ग व्यक्ति के चरण स्पर्श किये। बुजुर्गवार ने पहचान लिया “अरे जगदीश क्या हाल है, घबरा मत तेरी विजय सुनिश्चित है।,,जगदीश की आंखों में कुछ़ नमी की आहट देखी। मैने पूछ़ा कौन हैं ये बुजुर्ग व्यक्ति ? जवाब मिला – मेरे पिता के सबसे खास मित्र हैं।मैं कई तरह के विचारों के उधेड़बुन में चुप रहा। उधर फिर वोट मांगने का सिलसिला जारी रहा। दस बजे गोरखा समाज से रूबरू हुए, जगदीश गुप्त ने अपनी बात रखी, वोट मांगा।
बड़ी मेहनत और जिगरे का काम है पत्रकार से नेता बनना।,,मैं नेता तो नहीं बन सकता, मगर एक पत्रकार के तौर पर सोंचा ,,कि कुछ़ कलम चला ही दूं। ,,सो चला दिया। एक प्रत्याशी के साथ बिताए चंद घंट़ों को बयां कर दिया।