पहले चेतती प्रशासन तो न होता नौतनवा में बवाल

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पहले चेतती प्रशासन तो न होता नौतनवा में बवाल

पहले चेतती प्रशासन तो न होता नौतनवा में बवाल

आईएनन्यूज, नौतनवा:
(धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट)

नौतनवा कस्बा में नगर निकाय चुनाव के दौरान भाजपा बनाम विधायक अमनमणि त्रिपाठी का विवाद प्रशासनिक चूक का उदाहरण है। इस विवाद की नींव पर्चा दाखिला के दिन ही पड़ती नज़र आयी थी। जमकर जुलूस निकाले गये, धारा १४४ हर जगह तार-तार हुई। प्रशासन या पुलिस नोटिस या हिदायत की खानापूर्ती करती नज़र आयी। परिणाम यह रहा है कि प्रत्याशी या प्रत्याशी समर्थकों का मनबढ़ा। आदर्श आचार संहिता का अनुपालन सभी के पल्ले से परे रहा। रविवार की रात प्रत्याशी गुड्डू के प्रचार में आये भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहू और विधायक अमनमणि त्रिपाठी समेत कई लोगों पर भाजपा प्रत्याशी जगदीश गुप्त के वाहन को तोड़ने फोड़ने, बवाल करने का मुकदमा हुआ। सवाल यह उठ़ रहा है कि विवाद से पूर्व पुलिस या प्रशासन कहां था। सैकड़ों लोग जुलूस के शक्ल में करीब दो किलोमीटर पैदल चले, कहां थी पुलिस? जब विवाद हुआ तो पुलिस फोर्स का जमावड़ा आ धमका। सवाल यह भी उठ़ रहा है कि यदि भाजपा प्रत्याशी कार्यालय के समक्ष हंगामा न खड़ा होता, तो प्रशासन या पुलिस सब कुछ़ सामान्य ही दर्शाती। ठीक वैसे ही जैसे पर्चा दाखिला के दिन बिना किसी का जुलूस निकले पर्चा दाखिल हुआ, है कि नहीं?
फिलहाल मामले ने मुकदमें बाजी और यहां के राजनैतिक द्वंदता को हवा दे दी है। आगे-आगे देखिये होता है क्या? फिलहाल तो यह सोचें कि पूरे मामले का असली विलेन है कौन? ,,शेष तो पुलिस ने न्यायालय के विचाराधीन कर ही दिया है। बोझ कहां का गया कहां?

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