एक दारोगा की पीड़ा,, कैसी दुखी व पीड़ित है यूपी की खाकी

एक दारोगा की पीड़ा,, कैसी दुखी व पीड़ित है यूपी की खाकी

एक दारोगा की पीड़ा,, कैसी दुखी व पीड़ित है यूपी की खाकी

एक दारोगा की पीड़ा,, कैसी दुखी व पीड़ित है यूपी की खाकी

पिछ़ले दिनों नौतनवा के पास हादसे में दो थाना इंचार्जों समेत चार पुलिसकर्मियों के घायल होने के वाकये के बाद पुलिस महकमें की एक कश्मकश जाग गयी हैं, नौकरशाही वेदना अब तुलना के पथ पर है।
साठ़ घंटे बिना पलक झपकाए ट्यूटी, हादसा तो होगा ही।
,,शायद इन्हीं सोंच व उलझनों के तानेबाने में महराजगंज जिले में तैनात एक दारोगा ने बिना अपना नाम लिखे ,,ये पंक्तियां लिखी।
अपने नौकरी की तुलना एक अध्यापक की नौकरी से की। लिखा,,,,,,,

1 फोटो में अध्यापक है और दूसरे मे 1 पुलिस अधिकारी किसी रोज इन दोनों के वेतन में सिफ़ 1 एक रु० का अन्तर था आज दोनो के बेतन में 14600 Rs का अन्तर है क्यूं क्यूकि पुलिस को सबकी जरूरत है लेकिन पुलिस की फिक्र किसी को नहीं दोनों के कार्य में जमीन आसमान का अन्तर है पुलिस का कार्य हमेसा जोखिम भरा कब कहा क्या हो जाये पता नहीं कार्य कम से कम 14 घन्टे अध्यापक 7 से 8 घन्टे कोई जोखिम नहीं पुलिस के लिये Border 150 se 900 किमी ० दूरी पोस्टिंग अध्यापक 5 se 10 km पुलिस बाहर रहकर अपने परिवार को पालने मे परेसानी व बचत की धनरासी । पुलिस का वेतन 24000 .कमरा किराया 4000 + खाना पीना कमसेकम3000 + बच्चों का दूध कमसेकम 2000 + 2 बच्चों की पडाई बस किताब कमसेकम 5000 + बाइक का खुद का बच्चों का कम से missalanious 2000 कुल मिलाकर 16000 rs अब उसके पास future plan के लिये बचे 8000 Rs. अब जो करना उसी से करना है . . . . . . अध्यापक का वेतन 37600 Rs .कमरा का 0 क्यूकिं अपने घर पर है + खाना पीना 3000 + दूध का बच्चों के लिये 2000+ 2 बच्चों के लिये पडाई का 3000 Rs क्यूकि उनके पास पया्प्त समय है सो गाडी का नहीं + खुदका बच्चों का missalinous 2000 कुल मिलाकर 10000 Rs अब उसके पास बचे 27600 Rs अब वो अपना future सही कर सकते है न कि हम पुलिस वाले. . . . . . . . . हमें अध्यापको के वेतन से दिक्कत नहीं हमे तो सरकार को बताना है हमलोगों के साथ भेदभाव क्यूं . . . . . . . सरकार हमारा वेतन नहीं बडा पा रही तो हमारे खच्रे तो कम करवा सकती है हम लोगों कि पोस्टिंग हमारे घर कर सकती है हम किराया कमरा का बचा सकते है विपत्ति के समय अपने परिवार का साथ दे सकते है हमारा तनाव 14 घन्टा ड्यूटि के बाद भी कम रहेगा जब परिवार के सदस्य साथ होंगे अब हमलोगों के साथ भेदभाव बन्द करों अब कब तक सहेंगे हम अब नहीं बस करिये अब सहन नहीं होता ये जिन्दगी एकदम बेरंग हो गई है . . . . . . . पुलिस के लिये परिवार घर सब अाप सरकार ने बेघर कर दिया है..
दुखी, पीडित, खाकी
उत्तर प्रदेश

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