कितनी वाजिब है नौतनवा 15 सभासदों की बगावत?
कितनी वाजिब है नौतनवा 15 सभासदों की बगावत?
आईएनन्यूज, नौतनवा से धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट:
नौतनवा का ही रहने वाला हूं, बारह साल से यहां की कथित पत्रकारिता में सिर खपा रहा हूं,,सियासी उठ़ापटक ,,पर लिखने का जज्बा रह रह कर उकेरता है। कुछ़ लिख़ने का मन कर गया, वो भी तब, जब ऐसा लग रहा है कि नौतनवा की नगरीय सियासत में एक उठ़ा पटक जैसी हलचल है।
नगर निकाय चुनाव के बाद नौतनवा की तस्वीर यह बनी कि गुड्डू खान तीसरी बार हिट रहे। मगर नगर पालिका बोर्ड का हिस्सा माने जाने वाले विनिंग पंद्रह सभासदों ऐसे-तैसे-जैसे भी, जिस वजह को प्राथमिकता देकर बागी टाइप का सुर अलापें हैं। वह वाजिब भी लगती है, हास्यास्पद भी लगती है, राजनैतिक प्रेरित भी लगती है।
नौतनवा जैसे कस्बे की राजनिति में फिजूलखर्ची का विरोध? अच्छ़ा तो है! मगर , बोर्ड़ के घोषित शपथ ग्रहण का बहिष्कार करने वाले सभासद बंधु क्या दिल पर हाथ रख कर कसम खायेंगे कि उन्होंने अपने चुनाव में एक रुपया भी फिजूलखर्ची नहीं की? ,,यह सामाजिक नैतिकता का सवाल है, आदर्शता का सवाल है?,,
चलिये मान लीजिये कि बागी सभासद सही हैं! मगर मेरे विचार से वह बगावत में जल्दीबाजी कर गये। पहले तंत्र में आते भी तंत्र की ख़ामियों का विरोध करते तो सबके समझ में आता।
शपथ ग्रहण का ही विरोध,,यह क्या है? बोर्ड की बैठ़क ने तो शपथग्रहण निर्धारित किया नहीं था, शपथ़ लेते, बोर्ड् की बैठ़क में जाते, फिर गलत वित्तीय लेन देन टाइप का लगता तो मोर्चा खोलते ,, !
तब लोग भी जब समझते। फिलहाल तो अब आम आवाम व राजनैतिक जानकार यह कहनें लगे हैं कि पूरा बनाया गया मूवमेंट भाजपा का है। सत्ता पक्ष है, यहां की राजनिति में कमजोर है, मूवमेंट तो बनता है।
मगर अब तक का मूवमेंट अब एक तरह के धमकाने प्रकार सा लगने लगा है। और यह भी कि पंद्रह सभासद एक अपरिपक्व टाइप के राजनैतिक निर्देशन के मोहरे से लग रहे हैं। सभासदों का विरोध अब कहीं कहीं गैरनियमन की तरफ जाते सा प्रतीत हो रहा है।
सभासदों का बागीपन अब न तो राजनैतिक रुप से वाजिब लग रहा है, न नगरपालिका के जीओ टाइप से मैच कर रहा है।,,
ये इंडो-नेपाल न्यूज वेबपोर्टल की निष्पक्ष राय है,,। दिल पर मत लीजियेगा, भले ही नियमत: बगावत करें!