प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नहीं है बाबूराम भट्टराई को भरोसा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नहीं है बाबूराम भट्टराई को भरोसा?
विशेष संवाददाता-धर्मेंद्र चौधरी की एक रिपोर्ट
आई एन न्यूज ब्यूरो नेपाल :अभी हाल ही में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री व नेपाली वाम गठबंधन दल के बड़े नेता बाबूराम भट्टराई ने काठमांडू में आयोजित एक बैठ़क में यह कहा कि “नेपाल में सरकार की स्थिरता के लिये भारत का सहयोग अपेक्षित है”।
बाबूराम भट्टराई के इन वाक्यों के कई मायने निकल रहे हैं। विदेशनीति के जानकार भी इन वाक्यों में भय-भरोसा व विरोध की मिश्रिता मान रहे हैं। लेकिन इस मिश्रिता में भय, भरोसा व विरोध का क्रम किस तरह बद्ध किया जाय, और सही क्या होगा इसे कोई स्पष्ट़ नहीं कर पा रहा है।
कारण एक “बातचीत” जो कि इन दिनों भारत व नेपाल के बीच चल रही है। वह बातचीत है भारत-नेपाल संधि १९५० के पुनरावलोकन व संशोधन की। यह मांग भारत के तरफ से उठ़ाई गयी है, नेपाल भी राजी बताया जा रहा है। मगर रजामंदी की हुंकार सुस्ती भरी है।
नेपाल के सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट़ गठबंधन दल के बड़े नेता बाबूराम भट्टराई अपने संबोंधन में १९५० संधि का भी जिक्र किया।
स्पष्ट़ है कि, नेपाल अप्रत्यक्ष रुप से संधि में कुछ़ बिंदुओं पर हुए समझौते कायम रखना चाहता है। वहीं भारत समझौते में बराबर के योगदान का पक्षधर होने की बात कर रहा है।
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई की बातें इसलिए गंभीरता से विचार करने वाली बात है, क्योंकि भट्टराई का भारत से काफी गहरा नाता है। उनकी उच्च शिक्षा भारत में हुई है। पंजाब के एक विख्यात स्कूल से परास्नातक डिग्री व दिल्ली के जेएनयू से पीएचड़ी उपाधि पाये भट्टराई नेपाली राजनीति के मजबूत स्तंभ माने जातें हैं। नेपाल में राजतंत्र प्रथा को समाप्त करने की माओवादी जंग में उनका अहम किरदार रहा है।
अब जबकि नेपाल में वामगठबंध की सरकार है और भारत १९५० संधि पर वार्ता का मन बना चुका है।
ऐसे में
“नेपाल सरकार की स्थिरता में भारत के सहयोग की अपेक्षा”
जैसी बाते गूंजना किस तरफ का इशारा है।
बड़ा सवाल यह कि ,,आख़िर नेपाली सरकार में भारत कैसे अस्थिरता पैदा कर सकता है?
क्या दोनों देशों के बीच आपसी व अंदरुनी रुप से ऐसा कुछ़ चल रहा है? क्या भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल नीतियों पर बाबूराम भट्टराई को भरोसा नहीं है?
या फिर हमेशा की तरह नेपाल “चालाक भोला-भाला” बन भारत को रिझाने का प्रयास कर है।