डीपीआरओ निलंबन तक ही रहेगा मामला या होगी 33681 शौचालयों की पड़ताल?
डीपीआरओ निलंबन तक ही रहेगा मामला या होगी 33681 शौचालयों की पड़ताल?
आई एन न्यूज ब्युरो महराजगंज ( सुनील यादव व धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट)
प्रदेश के पिछ़ड़े जिलों में शुमार महराजगंज जिले सरकारी योजनाओं को जमीन पर पहुंचने के लिये प्रशासनिक भ्रष्टाचार के गहरे भंवर से गुज़रना होता है। योजनाओं में दस्तख़त, मुहर व गलत जांच आख्याओं का ख़ेल चल रहा है।
अभी हाल ही में डीपीआरओ के निलंबित होने का प्रकरण यह बयां कर रहा है कि जिलास्तरीय अधिकारी भी इस जिले को पिछ़ड़ा ही बनाये रखने में कोई कोर कसर नहीं छ़ोड़ रहे हैं।
एक तरफ जहां पीएम व सीएम स्वच्छ़ भारत अभियान को अपना सबसे संजीदा अभियान बता, डंका बजा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ इनके ही नौकरशाह उनके सबसे संजीदा अभियान के अमलीज़ामा को काग़जी संतुष्ठ़ि दे रहे हैं।
मिले आंकड़ों के मुताबिक पूरे महराजगंज जिले में अब तक ३३६८९ शौचालयों का पूर्ण निर्माण व भुगतान हो गया है। इसी आंकड़े की जमीनी हकीकत के इर्द-गिर्द कई शिकायतें पीएम और सीएम के दरबार पहुंची थी। आंकड़ों व जमीनी हक़ीकत में अंतर मिला । कार्यवाई हुई की डीपीआरओ साहब को निलंबित कर दिया गया।
मगर, बड़ा सवाल यह कि क्या निलंबन के बाद मामला खत्म हो गया? क्या ३३६८१ शौचालयों की जमीनी हक़ीकत की पड़ताल होगी? अगर धांधली हुई है, तो कितने की? धांधली वाले धन की रिकवरी किससे होगी? क्या ब्लाक कार्यालयों व गांवों में शौचालय निर्माण का काम सौ फीसद करप्शन फ्री हो रहा है?
आरटीआई तो बनता ही है,,।