एक्सक्लुसिव रिपोर्ट:कहां गये महराजगंज से शौचालय निर्माण के 43 करोड़ रुपये ?
एक्सक्लुसिव रिपोर्ट:कहां गये महराजगंज से शौचालय निर्माण के 43 करोड़ रुपये ?
(सुनील यादव/धर्मेंद्र चौधरी की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट)
आई एन न्यूज ब्यूरो महराजगंज:आईए आप को महराजगंज जिले में हुए एक तमाशे से रुबरू कराते हैं। यह तमाशा है जिले भर में हो रहे या हुये शौचालय निर्माण के सरकारी अंशदान का।
पंचायती राज विभाग से मिले आंकड़ों की माने तो जिले के १२ ब्लाकों में कुल ३३४७० शौचालय हाल फिलहाल बन रहे। जिसमें ४१९५ शौचालय पूर्ण भी हो गये हैं। जबकि २९२७५ आधे बने हैं, जो जल्द ही बन कर तैयार हो जायेंगे।
पंचायती राज विभाग ने ब्लाकवार खांका भी तैयार है। वह यह कि
-घुघली में १६५०
-पनियरा में ३६९२
-सिसवा में १६६६
– सदर में २३१५
– मिठ़ौरा में १९३९
– फरेंदा में ३६००
– बृजमनगंज में १६१२
– नौतनवा में ५८५५
-धानी में ९०२
– निचलौल में ४५ ९२
– परतावल में ३०१२
– लछ्मीपुर में २६३५
इतने शौचालय कागजों की शोभा बढ़ा रहे। हैरत की बात तो यह है कि प्रत्येक ब्लाक में किस गांव में और कहां बन रहा है शौचालय,,इसकी सूचि कहां और किसके पास है,,यह कोई नहीं बता रहा है।
यही वह जवाब देही रही, जिसे न बता पाने के कारण जिलापंचायत राज अधिकारी को अभी हाल ही में उनके पद से हट़ा दिया गया।
,,अब मुख्य ख़ेल पर आईए। धन वाले।
पंचायती राज विभाग के आंकड़ों के मुताबिक स्वच्छ़ भारत अभियान के तहत कुल २९२९५ लाभार्थियों को पहली किश्त ६००० रुपये/लाभार्थी भुगतान कर दी गयी है। यानि कि कुल १७५६५०००० रुपये। जिसमें से ४१९५ लाभार्थियों दूसरी किश्त का भी भुगतान हो गया है। जो कि २५१९७०००० रुपये।
प्रथम व द्वितीय किस्त को जोड़ दिया जाय तो कुल भुगतान ४२७६२०००० रुपया है।
,,,शून्य व राशि गिनने के कम जानकारों के लिये , आसान शब्द यह हैं कि कुल बयालीस करोड़ छिहत्तर लाख बीस हजार रुपये का भुगतान हो गया है।
अब इस जिले का जो भी निवासी इस रिपोर्ट को पढ़ रहा है, वह अपने आसपास के गांवों की जमीनी हक़ीकत (शौचालय निर्माण के संबंध में) देखे।
कितने गांव खुले में शौचमुक्त हो गये हैं। करीब ४३ करोड़ खर्च हो गये, सवाल तो सबके जेहन में उठ़ना चाहिए।
इंड़ोनेपाल न्यूज ट़ीम के मन में सवाल उठ़ा, पूछ़ लिया।
शौचालय निर्माण में गोलमाल की पड़ताल जारी रहेगी। फिर मिलेंगे कुछ़ आंकड़ों व सवालों के साथ।
,,और हां लाभार्थी भी कितने बेचारे हैं ,,”ड़कार” मात्र से संतुष्ठ़ हो जाते हैं। क्यों?
शायद वे जानते नहीं कि मामले में रिकवरी हुई तो फांस उनके गले ही पड़ेगी।
अधिकारियों व नौकरशाहों का क्या? सस्पेंड़ बहाली तो चलती रहती है।