योगी जी! आपके ही कारिंदे लट़का दिये हैं सार्वजनिक शौचालय पर ताला
योगी जी! आपके ही कारिंदे लट़का दिये हैं सार्वजनिक शौचालय पर ताला
आईएनन्यूज, नौतनवा से धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट:
पूरे देश व प्रदेश में पीएम मोदी व सीएम योगी के स्वच्छ़ भारत अभियान की धूम मची है। गांव से लेकर कस्बों व शहरों में साफ-सफाई बनाये रखने तथा खुले में शौचमुक्त समाज बनाने की कागज़ी योजनाएं कहीं कहीं फुल स्पीड़ पकड़े हुए हैं।
कहीं कहीं शब्द इसलिए लगाना पड़ा, क्योंकि महराजगंज जिले की नौतनवा तहसील परिसर में कुछ़ ऐसा हुआ है। जो एक लहज़े से बड़ा है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पट़ल पर जाने लायक मुद्दा भी है।
तहसील परिसर में १४.१५ लाख रुपये की लागत से बने सार्वजनिक शौचालय भवन पर अधिकारियों ने ही ताला जड़वा रखा है। वित्तीय वर्ष २०१५-१६ में बने इस शौचालय का ताला अभी तस का तस लट़का पड़ा है। वित्तीय वर्ष २०१६-१७ बीत गया है, और वर्ष २०१७-१८ की मार्च क्लोजिंग आने ही वाली है।
,,मतलब कि एक वित्तीय सरकार सपा के अखिलेश सरकार वाली रही और दूसरा वित्तीय वर्ष तेज तर्रार भाजपा के योगी सरकार वाली। फिर भी ताला,,,शौचालय पर ताला लगा है।
समस्या देखिये तहसील में आने वाले फरियादी तो बेचारे हो ही जाते हैं, तहसील के अधिवक्ता गण भी परेशान है। पेशाब करने खुले में जाते हैं, शौच लग गयी तो डिब्बा लेकर तहसील परिसर के उत्तरी छ़ोर के खेतों का रुख़ करना पड़ता है। ,,शर्मनाक व्यवस्था है।
बार्डर एरिया डेवेलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत कार्यदायी संस्था यूपीआरएनएसएस गोरखपुर ने शौचालय निर्माण के अपने हिस्से का काम पूरा कर दिया। मगर प्रशासनिक अधिकारियों ने इस शौचालय का जिम्मा लेने में कतराहट़ जताई। ताला लट़का दिया यह कह कि शौचालय की साफ-सफाई के लिये कर्मचारी कहां से आयेगा?
अधिवक्ता साधू शरण मिश्र, अजय श्रीवास्तव, मनोज मिश्र, अखिलेश उपाध्याय, चौधरी अनिल कुमार सिंह, रामसुमेर, हबीबुर्रहमान, अंबरीश मौर्या, धर्मेंद्र त्रिपाठी, प्रभाकर विश्वकर्मा व एसपी सिंह का कहना है कि वह एसडीएम प्रेम प्रकाश अंजोर से लगाये अभी हाल ही में नौतनवा तहसील का निरीक्षक करने आये मंडलायुक्त अनिल कुमार को भी शौचालय पर लट़के ताले की समस्या व उससे आ रही दिक्कतों के बारे में बताया। मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। स्वच्छता अभियान की धूम मची है और योगी राज में योगी के कारिंदे (प्रशासन) ही शौचालय पर ताला लट़काए पड़ी है।
,,,स्वच्छता अभियान शब़ाब पर है। है कि नहीं?