गोरखपुर उप-चुनाव:विपक्षी दलों के लिये चुनौती बनी योगी की रणनीति
गोरखपुर उप-चुनाव: विपक्षी दलों के लिये चुनौती बनी योगी की रणनीति
आई एन न्यूज,गोरखपुर से धर्मेंद्र चौधरी की विशेष रिपोर्ट:
गोरखपुर संसदीय क्षेत्र के उप चुनाव की तारीख़ ११ मार्च ज्यों ज्यों करीब आ रही है, गोरखपुर का सियासी पारा डिग्री दर डिग्री बढ़ रहा है। सांसद योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से २० वर्ष बाद ऐसा मौका आया कि गोरखपुर का सांसद योगी के अलावा कोई और होगा। विपक्षी दलों के सियासती सूझबूझ व रणनीति के रीयल टेस्ट का एक मंच सज गया है। कि वह योगी आदित्यनाथ के जादू के असर को कितना पार कर पायेंगे। भाजपा ने अभी अपने प्रत्याशी के चेहरे की घोषणा तो नहीं किया है, मगर इसमें कोई शक़ नहीं कि,जो भी होगा वह योगी के चेहरे व आशीर्वाद के भरोसे चुनावी मैदान में उतरेगा। अन्य दलों में सिर्फ कांग्रेस ने ही सुरहिता करीम के रुप में अपना प्रत्याशी मैदान में उतार यह स्पष्ट़ कर दिया कि वह फुल-प्रूफ़ लड़ाई के मूड़ में है। वहीं सपा व बसपा प्रत्याशी को लेकर अभी केवल रह रह कर चर्चाएं ही हिलकोरें ले रही हैं, पार्टियों ने कोई घोषणा नहीं की है। शायद ऊपरी मंथन कुछ़ और ही चल रहा है, कयास भी तरह तरह के हैं।
वर्ष १९९८, १९९९, २००४, २००९ व २०१४ में हुए लोक सभा चुनाव में गोरखपुर की संसदीय सीट़ पर भाजपा के योगी आदित्यनाथ ही विराज़मान हुए। स्पष्ट़ है कि गोरखपुर की जनता पर योगी का जादू सिर चढ़ कर बोलता है। जिसे पार पाना इस बार भी विपक्षी दलों के लिए टेढ़ी खीर ही दिख रही है। स्थितियां हर तरफ से भाजपा के पक्ष में ही दिख़ती नज़र आ रही हैं। केंद्र व प्रदेश में भाजपा की फुल मैज्योरिटी की सरकार है। गोरखपुर के पांच विधानसभा क्षेत्र गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवां, पिपराइच व कैंपियरगंज के विधायक भाजपाई हैं।
,,ऐसे में गोरखपुर का सांसद गैर भाजपाई होना निश्चित रुप से एक अप्रत्याशित परिणाम हो सकता है।
हर तरफ से भाजपा व योगी की रणनीति मजबूत प्रतीत हो रही है। कांग्रेस, सपा व बसपा सिर्फ जातिगत आंकड़ों के इर्द-गिर्द अपनी रणनीति तैयार करते नज़र आती दिख रही है।
जानकारों की मानें तो गोरखपुर उप-चुनाव में योगी मैजिक को तभी टक्कर मिल सकती है, कांग्रेस, सपा व बसपा तीनों एक जुट़ होकर चुनाव में उतरें। ,,आगे आगे देखिए होता है क्या?