नेपाली नागरिकों ने आधार कार्ड बनवा लिया तो क्या बुरा किया?

नेपाली नागरिकों ने आधार कार्ड बनवा लिया तो क्या बुरा किया?

नेपाली नागरिकों ने आधार कार्ड बनवा लिया तो क्या बुरा किया?

नेपाली नागरिकों ने आधार कार्ड बनवा लिया तो क्या बुरा किया?आईएनन्यूज, नेपाल से धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट:

सवाल तो दमदार है कि “नेपाली नागरिकों ने आधार कार्ड बनवा लिया तो क्या बुरा किया”?

इस तरह की तमाम शिकायतें व मिडीया रिपोर्ट इन दिनों या यूं कहे कि कई वर्षों से सीमावर्ती क्षेत्र में मुद्दे की तरह रेंग रही हैं। भारत के कई प्रदेशों के ड़ीएम परेशान, आईजी परेशान , डीजीपी मुख्यालय परेशान ,,,और कुछ़ मीड़िया परेशान। सवाल यह कि नेपाली नागरिक के भारत में आधारकार्ड बन रहे हैं।
नेपाली नागरिकों ने आधार कार्ड बनवा लिया तो क्या बुरा किया?

ऐसा क्यों हो रहा है? भयानक गलती है, तो सरकारें व न्यायालयी विभाग चुप क्यों हैं?
इस मुद्दे पर इंडो-नेपाल न्यूज ने पड़ताल की, गहनता से और तथ्यों को ध्यान में रख़ते हुए।
परिणाम यह आया कि इस तरह के मुद्दे या सवाल उठ़ाने वाले ही, बेवजह, सनसनी, वाहखूब-वाहखूब के चक्कर में एक ऐसे मुद्दे को चिंगोट़ी काट़ रहे हैं। जिस मुद्दे कि एबीसीड़ी तक से वह वाकिफ़ नहीं है।
वह मुद्दा क्या है? हम बताते हैं।

नेपाली नागरिकों ने आधार कार्ड बनवा लिया तो क्या बुरा किया?

भारत-नेपाल की १९५० के संधि में हुए समझौते के अनुसार नेपाल का कोई भी नागरिक भारत में भूमि खरीद सकता है। भारत में सरकारी नौकरी कर सकता है (आईएएस, आइएफएस को छ़ोड़)।
,,अब बताईए अगर नेपाली नागरिकों को भारत में भूमि खरीदने, आवास करने व नौकरी करने की सहुलियत जैसे समझौता है। तो वह आधार कार्ड़ क्यों नहीं बनवा सकता है?
नेपाली नागरिकों ने आधार कार्ड बनवा लिया तो क्या बुरा किया?

वो भी तब जब भारत में हर कामों के लिये आधार कार्ड़ की धूम मची है। ,,और यह भी कि आधार कार्ड़ भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं है। फिर ऐसे बेतुके बनामियत मुद्दों को हवा क्यों दी जा रही है।
जब एक समझौते से सहुलियत मिली है, तो उस पर बेमानी सवाल क्यों?
यह सवाल समय पड़ने नेपाल के पीएम केपी ओली शर्मा भी पूछ़ सकते हैं । उन लोगों से जो कि नेपाली नागरिकता बनाम आधार कार्ड का बाजा बजाकर हाय हल्ला मचाए हुए हैं। जिन्हें न तो कूटनीतिक समझ है और न ही भारत नेपाल के अहम समझौतों का ज्ञान है। ऐसे में यह मुद्दे उठ़ाते क्यों हैं,,यह समझ से परे हैं?
हां यह बात अलग है कि समझौते के इन्हीं मुद्दे के इर्द-गिर्द भारत की मोदी सरकार लगातार संशोधन व बराबरी के समन्वय पर नेपाली सरकार से वार्ता पर है। ,,सिर्फ वार्ता पर। अभी संशोधन व दोनों देशों की सहमति नहीं बन पाई है। क्योंकि कई कड़ियां हैं। ,,और मामला विदेशनीति के जोड़ घट़ाने से परिपूर्ण भी है।
सवाल यह कि आख़िर बेसिर पैर के अर्धज्ञान भरे सवालों को उपज़ाने की साजिश कौन करता है? किसकी शह पर?
या फिर यह सब एक प्रकार के स्टंट हैं।
ऐसा स्टंट जिसके जवाब डीएम क्या सीएम तक के सिर से बाउंस कर जाय।
हास्यास्पद सा है।
ख़ैर जिसको उक्त लिखित बातों के सार पर असहमति ट़ाइप का फील हो वह नि: संकोच विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज के पास जाय, वार्ता करे और पूछ़े।
नेपाली नागरिक ने आधार कार्ड बनवा लिया है क्यों?
,,जवाब यही मिलेगा ,,तो क्या बुरा किया!

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