भाजपा को शिकस्त देने के लिए खत्म हुई सपा-बसपा के बीच 23 साल की दुश्मनी

भाजपा को शिकस्त देने के लिए खत्म हुई सपा-बसपा के बीच 23 साल की दुश्मनी

भाजपा को शिकस्त देने के लिए खत्म हुई सपा-बसपा के बीच 23 साल की दुश्मनीभाजपा को शिकस्त देने के लिए खत्म हुई सपा-बसपा के बीच 23 साल की दुश्मनी
आई एन न्यूज ब्यूरो, लखनऊ।
भारतीय जनता पार्टी को शिकस्त देने के लिए बहुजन समाज पार्टी ने रविवार को गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन का ऐलान कर दिया। इस कदम से दोनों पार्टियों के बीच चल रही दो दशक से अधिक समय से चल रही दुश्मनी पर विराम लग गया है।
बीएसपी ने हालांकि वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के साथ गठजोड़ की घोषणा का औपचारिक ऐलान अभी भले ही न किया हो, लेकिन यूपी की इन दो बड़ी पार्टियों के बीच 23 साल से चली आ रही दुश्मनी खत्म हो गई है। 
सूत्रों की मानें तो यह फैसला यूं ही नहीं हुआ है। इसके लिए 6 दिनों तक दोनों ही दलों के शीर्ष नेतृत्व और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच व्यापक बातचीत हुई। एसपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘इसकी शुरुआत 27 फरवरी को उस समय हुई, जब पार्टी के वरिष्ठ रणनीतिकार राम गोपाल यादव ने यह मुद्दा बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा से उठाया।’ उन्होंने बताया कि दोनों ही पक्षों ने गठजोड़ की संभावनाओं पर चर्चा की। 
बीएसपी प्रमुख मायावती और एसपी चीफ अखिलेश यादव से हरी झंडी मिलने के बाद अगले दौर की बातचीत में समर्थन की विस्तृत शर्तों पर बातचीत हुई। दूसरे दौर की बातचीत में दोनों ही पक्षों ने आगामी राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में एक-दूसरे के समर्थन पर सहमति जताई। यह फैसला लिया गया कि एसपी राज्यसभा चुनाव में बीएसपी का समर्थन करेगी, बीएसपी विधान परिषद चुनाव में समाजवादी उम्मीदवारों को अपना समर्थन देगी। 
बता दें, एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वर्ष 2017 में ही सार्वजनिक तौर पर बीएसपी से हाथ मिलाने की इच्छा जताई थी। इसके बाद गेंद बीएसपी सुप्रीमो मायावती के पाले में थी। बीएसपी खेमे में यह मुद्दा 1 मार्च को पार्टी के क्षेत्रीय कोऑर्डिनेटरों की मायावती के साथ बैठक में उठा। इस बैठक में मायावती ने एसपी के साथ गठजोड़ पर जमीनी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने के लिए कहा। 
उधर, अखिलेश ने भी अपने खास एमएलसी उदयवीर सिंह को जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने के लिए कहा। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच गोरखपुर और फूलपुर में कई बैठकें हुईं, जो शनिवार शाम तक चलती रहीं। जमीनी कार्यकर्ताओं से सकारात्मक फीडबैक मिलने के बाद मायावती ने समर्थन की घोषणा की। 

राम लहर के बाद अब मोदी लहर में साथ आए एसपी-बीएसपी 
बता दें कि इससे पहले 1993 में एसपी-बीएसपी एक साथ चुनाव लड़ चुके हैं। तब लक्ष्य ‘राम लहर’ को रोकना था। तब एसपी-बीएसपी गठबंधन को 176 सीटें मिली थीं और बीजेपी को 177 सीटें। 1995 में गेस्ट हाउस कांड के बाद गठबंधन टूटा तो दोनों दल कभी साथ नहीं आ पाए।

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