वन दारोगा की पिट़ाई मामले में उठ़े कई सवाल

वन दारोगा की पिट़ाई मामले में उठ़े कई सवाल

वन दारोगा की पिट़ाई मामले में उठ़े कई सवाल

वन दारोगा की पिट़ाई मामले में उठ़े कई सवाल

विशेष संवाददाता:धर्मेंद्र चौधरी की एक रिपोर्ट

आई एन न्यूज ब्यूरो महराजगंज:: बरगदवा थाना क्षेत्र के खैरहवा जंगल के पास रविवार को वन दारोगा प्रेम लाल यादव को ग्रामीणों द्वारा पीट़ दिये जाने के मामले में कई सवाल खड़े हो गये हैं। वन दारोगा का आरोप है कि वह भोर में अवैध खनन की सूचना पर गांव के पास अवैध खनन रोकने गया था, जहां अवैध खननकर्ताओं ने उस पर हमला कर बुरी तरह मारा पीट़ा।
वहीं इसी मामले में गांव की रामरती नामक महिला ने यह आरोप लगाया है कि वह भोर में शौच के लिये निकली थी। इसी दौरान वन दारोगा प्रेमलाल वहां आ गया। उसने बलात्कार का प्रयास किया। चिखने चिल्लाने पर गांव वाले आये और वन दारोगा को पीट़ दिया।
दोनों आरोपों पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। वन दारोगा की तहरीर पर छह नामजद लोगों पर मुकदमा हुआ है। जबकि महिला की तहरीर पर वन दारोगा प्रेमलाल यादव पर बलात्कार के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ है।
यहां पुलिस ने बड़ी ही सफाई व जिम्मेदारी का परिचय देते हुए अपने हिस्से का कोरम पूरा कर दिया है। अब मामला जांच व उसकी रिपोर्ट के इर्द-गिर्द हो चला है।
ठ़ीक है। जांच होनी चाहिए। निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
क्योंकि मामला कथित बलात्कार, कथित बलात्कार के प्रयास व कथित अवैध खनन से जुड़ा है।
२४ फरवरी को इसी वन दारोगा प्रेमलाल लाल यादव पर बरगदवा थाना क्षेत्र के बेलहियां गांव के बड़हरा ट़ोला की एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया। जिस पर पुलिस ने वन दारोगा पर बलात्कार व एसएसी-एसट़ी एक्ट़ के तहत मुकदमा दर्ज किया है। एक तीसरा मामला भी इसी तरह का आ चुका है। तब इन दोनों मामलों के पूर्व यही वन दारोगा साहब छ़ेड़खानी मामले में पीट़ चुके हैं।,, खैर यह मामले कितने सही हैं, यह तो जांच का विषय है। मगर यह मामले वन दारोगा के एक फितरत की तरफ इशारा कर रही हैं। जो कि अंडरस्टुड़ है।
,,फिलहाल मामले पर अधिक लिखने की बजाय, अब डायरेक्ट सवालों पर आते हैं-

१- जब वन दारोगा पर चारित्रिक दोष व बलात्कार जैसे मामले दर्ज थे। तो वन विभाग ने इस दारोगा को यहां से हट़ाया क्यों नहीं?

२- भोर में चार बजे वन दारोगा अवैध खनन रोकने अपने एक मात्र सहयोगी के साथ क्यों गया? पुलिस या राजस्व विभाग को साथ में क्यों नहीं बुलाया?

३- क्या सचमुच दारोगा चारित्रिक दोषी है?
४- महिलाएं बलात्कार व बलात्कार का प्रयास का आरोप किसी प्रेरणवश तो नहीं लगा रही हैं?

५- अवैध खनन हो रहा था, तो पुलिस या राजस्व विभाग को जानकारी क्यों नहीं थी? क्या वन विभाग के दारोगा का सूचना तंत्र, पुलिस व राजस्व विभाग के सूचनातंत्र से काफी तेज था?

६-वनविभाग इस तमाम आरोपों से घिरे दारोगा पर क्यों मेहरबानी दिखाते आया है?

इस पूरे प्रकरण ने जो गंभीर सबालों को जन्मा है वह यह हैं कि
१- “आबरु” बनाम “कर्तव्य निर्वहन” में किसके आरोप सही हैं?

२-क्या नौकरशाहीतंत्र और समाजिक स्वरुप इतने विकृत अवस्था की ओर जा रहे हैं कि “आबरु” बनाम “कर्तव्य निर्वहन” जैसे शीर्षकीय मामले उपज़ाने लगे हैं?
ऐसी स्थितियों का वास्तवित जिम्मेदार कौन है?

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