कहां गई सिंचाई विभाग के तीन अभियंताओं व २६ ठ़ेकेदारों पर हुए मुकदमें की जांच रिपोर्ट़ ?

कहां गई सिंचाई विभाग के तीन अभियंताओं व २६ ठ़ेकेदारों पर हुए मुकदमें की जांच रिपोर्ट़ ?

कहां गई सिंचाई विभाग के तीन अभियंताओं व २६ ठ़ेकेदारों पर हुए मुकदमें की जांच रिपोर्ट़ ?

कहां गई सिंचाई विभाग के तीन अभियंताओं व २६ ठ़ेकेदारों पर हुए मुकदमें की जांच रिपोर्ट़ ?

आईएनन्यूज महराजगंज डेस्क

(सुनील यादव/ धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट)

१२ दिसंबर वर्ष २०१७ को महराजगंज जिले के पनियरा थाने की जीड़ी में एक मुकदमा दर्ज हुआ। सीजेएम कोर्ट़ के निर्देश पर। इसमें कुल २९ आरोपी थे। जिसमें तीन सिंचाई खंड़ द्वितीय के अभियंता समेत २६ ठेकेदार/ निर्माण संस्थानों के नाम शामिल रहे। मुकदमा भारतीय दंड़ विधान की धारा ४०९ व ४२७ के तहत दर्ज हुआ था।
मामला था रोहिन नदी के जर्दी डोमरा बांध, चेहरी बांध व डोमरा रिंग की मरम्मत के नाम पर अनियमितता का।
करोड़ों रुपये के गोलमाल का आरोप लगाकर सिंचाई विभाग के अभिंताओं समेत दो दर्जन से अधिक ठेकेदारों को कट़घरे में खड़ा करने वाले पनियरा के सतगुर गांव के निवासी हेमंत कुमार के जज्बे व हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी।
कहां गई सिंचाई विभाग के तीन अभियंताओं व २६ ठ़ेकेदारों पर हुए मुकदमें की जांच रिपोर्ट़ ?

विकास कार्यों व जनहित योजनाओं में दलाली के आकंठ़ मे डूबे महराजगंज जिले में ऐसे प्रयास कम ही देखने को मिलते हैं। इंड़ोनेपाल न्यूज हर उस प्रयास की सराहना करता है , और हर उस कवायद् का सहयोग करने का अपेक्षु रखता है। जो जनहित साथ व भ्रष्टाचार के विरोध में हो।

,,,इस मामले में आवाज़ उठ़ाने वाले हेमंत कुमार द्वारा शिकायत की गयी चंद लाइनों पर गौर करें–

कहां गई सिंचाई विभाग के तीन अभियंताओं व २६ ठ़ेकेदारों पर हुए मुकदमें की जांच रिपोर्ट़ ?

” ६ अगस्त २०१७ सुबह करीब चार बजे बरसात के पानी से उफ़नाई रोहिन नदी का जर्दी डोमरा बांध व चेहरी बांध टूट गया। हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई, कई रिहायशी मकान ध्वस्त हो गये और एक बालक की मौत हो गयी। प्रार्थी ने भी खेत रेहन लेकर फसल लगाई थी, तबाह हो गयी”। “हर साल तटबंध मरम्मत होती है, धन खर्च किए जाते हैं, फिर ये तबाही आयी क्यों?

,,उक्त लाइनों में जो वेदना छ़िपी है। वह महराजगंज के हजारों किसानों की वेदना है।
विडंबना देखिये! यहां जन सरोकार की दुहाई देकर बने अधिकतर नेता भी उसी ” अजूबे” में तब्दील हो जाते हैं। जो कि पिछ़ले कई दशकों से महराजगंज को पिछ़ड़ा बनाये रखने के मुख्य जिम्मेदारों में शुमार किये जाते। भ्रष्टाचार की ऐसी सुलभ परिस्थितियों वाले जिले में आने के बाद नौकरशाह भी “गज़ब अजूबे” बन जाते हैं। परिणाम देखिए एक सामान्य व वाजिब शिकायत के लिये भी फरियादी को कोर्ट की शरण लेनी पड़ रही है।
,,ख़ैर । अब मुद्दे पर आते हैं। तीन माह से अधिक हो चुके है। पुलिस की जांच कहां तक पहुंची ? किसी को पता नहीं!
पुलिस सूत्रों की मानें तो जांच की रिपोर्ट डीआईजी आफिस भेज दी गयी है, और मामले की सीबीसीआईड़ी जांच होने की संभावना है।
,,सवाल यह कि पुलिस ने अपनी जांच में क्या पाया?,,या फिर बहुत कुछ़ पाया। चार्ज सीट़ लगी या एफआर? ,,,यह सब जानने लायक चीजें किस कोपभवन में लुकाछ़िपी खेल रही हैं। किसी को नहीं पता।
एक छ़ोट़ा मोट़ा अस्त्र जन सूचना अधिकार के नियम के रुप में तो है। मगर उसका क्या,,जाना तो कोर्ट़ ही है।
इस मामले में एक और चीज़ नोट़िस करने वाली है। जिन तीन सिंचाई विभाग के अभिंताओं पर मुकदमा दर्ज हुआ है उनमें मुहम्मद खलील व दीनबंधु गुप्ता साहब अब भी यहां तैनात है। जबकि वीपी पांडेय साहब का ट्रांसफर हो गया है।
,,और यही साहब लोग फिर रोहिन के तटबंध मरम्मत का खांका वगैरह फिर तैयार कर रहे हैं।
,,आशा करते हैं कि इस बार तटबंध नहीं टूटेंगे । है कि नहीं?
रही हेमंत कुमार की बात । तो तंत्र को चाहिए कि उसके आरोपों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। ,,

,,तटबंध मरम्मत में भ्रष्टाचार के विरोध में इंडो-नेपाल न्यूज की यह पहली कोशिश है। इस लेख व रिपोर्ट के माध्यम से। जो समय समय पर जारी रहेगी। ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ़ मुख़र होने वाले लोग अपने आप को अकेला न समझें।

अगली रिपोर्ट ठेकेदारों / कार्यदायी संस्थाओं के काले चिट्ठ़े के साथ ,,,इंतजार करें!

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