यूपी उपचुनाव परिणाम: वो 4 कारण जिसकी वजह से योगी के गढ़ में अखिलेश ने दी मात
यूपी उपचुनाव परिणाम: वो 4 कारण जिसकी वजह से योगी के गढ़ में अखिलेश ने दी मात
आई एन न्यूज ब्यूरो गोरखपुर : 2014 लोकसभा चुनाव और 2017 विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों को करारी शिकस्त देने वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को उपचुनाव में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है. गोरखपुर में समाजवादी पार्टी (एसपी) के उम्मीदवार प्रवीण कुमार निषाद ने बीजपी उम्मीदवार उपेंद्र दत्त शुक्ला को 21, 881 मतों से मात दी. इस सीट पर पिछले करीब 29 सालों से लहर किसी की भी हो गोरखधाम पीठ का ही कब्जा रहा. उत्तर प्रदेश के सर्वेसर्वा योगी आदित्यनाथ 1996 से लेकर 2017 तक सांसद रहे. इससे पहले 1989 से 1996 तक महंत अवैद्यनाथ सांसद रहे. इसलिए शायद योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी ने ‘गोरखपुर में रहना है तो योगी-योगी कहना है’ जैसे नारे गढ़े।
गोरखपुर में हमेशा से बीजेपी से बड़ा कद योगी आदित्यनाथ का रहा है. लेकिन अखिलेश यादव की नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी ने योगी के गढ़ में मात देकर सबको चौंका दिया. अब बीजेपी की हार और समाजवादी पार्टी की जीत कैसे हुई इसका उत्तर ढूंढे जा रहे हैं. आइए जानते हैं वो चार कारण जिसकी वजह से गोरखपुर में एसपी जीती और बीजेपी हारी।
एसपी-बीएसपी गठबंधन
फूलपुर-गोरखपुर में 11 मार्च को वोटिंग से ठीक पहले कभी समाजवादी पार्टी की धुर-विरोधी रही मायावती ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए एसपी उम्मीदवार प्रवीण कुमार निषाद को समर्थन देने का ऐलान किया. जिसका सीधा फायदा अघोषित एसपी-बीजेपी गठबंधन को मिला. आंकड़ों में इसे समझें।
2014 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी उम्मीदवार को 2,26,344 वोट, बीएसपी को 1,76,412 वोट और बीजेपी को 5,39,127 वोट और कांग्रेस को 45,719 वोट मिले थे. प्रतिशत में देखें तो बीजेपी को 51.8 प्रतिशत, समाजवादी पार्टी को 21.8 प्रतिशत, बीएसपी को 17 प्रतिशत और कांग्रेस को 4.4 प्रतिशत वोट मिले।
इसबार के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी उम्मीदवार को 4,56,513 वोट और बीजेपी को 4,34,632 वोट और कांग्रेस को 18,844 वोट मिले हैं. प्रतिशत में देखें तो इसबार बीजेपी को 46 प्रतिशत और एसपी-बीएसपी गठबंधन को 49 प्रतिशत वोट हासिल हुई. यानि एसपी-बीएसपी गठबंधन ने काफी हद तक एक दूसरे का वोट ट्रांसफर किया. यही जीत की वजह रही. इस बात को उप मुख्यमंत्री और प्रदेश बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने भी स्वीकारा. उन्होंने कहा कि हमें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि बीएपसी के वोट इस कदर से एसपी के खाते में चले जाएंगे।
बीजेपी ने 2014 में राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से 73 पर जीत हासिल की थी. एसपी ने पांच सीटें, कांग्रेस 2 सीटें और बीएसपी अपना खाता खोलने में भी नाकाम रही थी।
कांग्रेस से दूरी
कहते हैं की दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है. अखिलेश यादव ने भी यही रणनीति अपनाई. 2017 विधानसभा चुनाव में साथ लड़ी समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव में कांग्रेस से दूरी बना ली. गठबंधन के बावजूद 403 सीटों में समाजवादी पार्टी मात्र 47 और कांग्रेस 7 सीटें जीत पाई थी. अखिलेश को यह खबर लग चुकी थी की उसके कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव में गठबंधन से नाराज हैं।
अखिलेश ने छोटे पार्टियों को लिया साथ
अखिलेश ने उपचुनाव में बीजेपी का फॉर्मूला अपनाया और छोटे-छोटे दलों को साथ लाया. निर्बल भारतीय शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी) और पीस पार्टी से गठबंधन किया. पेशे से इंजीनियर 29 वर्षीय प्रवीण निषाद को योगी आदित्यनाथ के गढ़ में उतारा और यह अखिलेश का मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ. प्रवीण निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे हैं. संख्या के हिसाब से देखें तो अन्य जातियों के मुकाबले गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में निषाद (पिछड़ी जाति) सबसे अधिक 3 लाख 50 हजार यानि 17 प्रतिशत वोटर हैं. गोरखपुर में यादव और दलित वोटरों की संख्या करीब 2-2 लाख है. वहीं ब्राह्मण वोटरों की संख्या करीब एक लाख 50 हजार है. गोरखपुर में आरएलडी और सीपीएम ने भी अखिलेश को समर्थन देने का ऐलान किया था।
अंदरुनी गुटबाजी
गोरखपुर छोड़कर लखनऊ आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वर्चस्व में कमी आई. आम धारणा है कि राजपूत समुदाय से आने वाले योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ब्राह्मण और पिछड़ी जातियों और पार्टी के कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ा. हालांकि यह माना जा रहा है कि राजपूत-ब्राह्मण समीकरण को ख्याल रखते हुए उपेंद्र दत्त शुक्ला को इसी कारण से टिकट दिया गया. लेकिन इसका खास फायदा शायद बीजेपी को नहीं मिला. उपेंद्र दत्त शुक्ला राज्यसभा सांसद शिव प्रसाद शुक्ला के करीबी हैं. शिव प्रसाद शुक्ला को वित्त राज्य मंत्री की भी जिम्मेदारी दी गई है।
आज ही पूर्व सांसद और बीजेपी के वरिष्ठ नेता रमाकांत यादव ने कहा कि पिछड़ों और दलितों की उपेक्षा के चलते उपचुनाव में बीजेपी को हार मिली है. रमाकांत यादव ने कहा कि पूजा पाठ करने वाले को मुख्यमंत्री बना दिया गया. पिछड़ों-दलितों को उनका हक़ मिलना चाहिए, सम्मान मिलना चाहिए जो योगी नहीं दे रहे. केवल एक जाति तक सीमित हैं।
पूरे चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर नफरत की राजनीति का आरोप लगाया. अखिलेश यादव ने जीत के बाद बुधवार को कहा कि चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने हिंदू-मुस्लिम में बांटा. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान ‘मैं हिन्दू हूं गर्व है कि मैं ईद नहीं मनाता’ को कोट करते हुए कहा कि यह उचित नहीं था।