नेपाल के भैरहवा स्थित मेड़िकल कालेज में बंधक बनाए गये 30 भारतीय छात्र
भैरहवा मेडिकल कालेज में भारतीय छात्रों का फीस के नाम पर उत्पीड़न।
आई एन न्यूज न्यूज भैरहवा से गुड्डु जायसवाल व धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट:
नेपाल के भैरहवा में स्थित यूनिवर्सल कालेज आफ मेड़िकल एंड साइंस में ३० भारतीय छ़ात्रों को बंधक बना लिया गया है। हालात ऐसे बना दिए गये हैं कि ये छ़ात्र केवल आसपास के बाजारों व सीमा सट़े नौतनवा बाजार तक केवल एट़ीएम से पैसा निकालने ही जा सकते हैं।
यही नहीं छ़ात्रों को उनके अभिभावकों से मिलने तक भी रोक लगाई है।
बुधवार को करीब दर्जन भर पीड़ित छ़ात्र इंडो-नेपाल न्यूज से मिले और अपना नाम न छ़ापने की शर्त पर अपनी समस्या व वेदना बताई।
उन्होंने बताया कि कालेज में भारतीय छात्रों को के साथ भावनात्मक व आर्थिक अत्याचार किया जा रहा है। भारत से आये अधिकतर छ़ात्रों को करीब चार वर्षों से लगातार फेल कर दिया जा रहा है। जबकि नेपाल के सभी छ़ात्र पास हो जा रहे हैं। सबसे अधिक भेदभाव उन छ़ात्रों के साथ किया जा रहा है, जो नेपाली भाषा नहीं बोल पा रहे हैं। ३० लाख रुपया (भारतीय मुद्रा) फीस व १० लाख रुपया अन्य खर्च कर दर्जनों छ़ात्र वहां अपने आप को फंसा महसूस कर रहे हैं। ४ वर्ष से एक ही पाठ्य सत्र में फंसे छ़ात्रों में अधिकतर डिप्रेशन का शिकार हो चुके हैं। मेड़िकल कालेज प्रशासन आए दिन भारतीय छ़ात्रों को तुगलगी फरमान जारी कर रहा है। फंसे छात्र कहां जाए, इसके लिए वह इधर उधर हाथ पांव मार रहे हैं। क्योंकि अगर इस बार वह फेल हुए तो कालेज प्रशासन उन्हें निकाल देगा, और पूरी डिग्री तक के अध्ययन का फीस भी वसूलेगा।
पिछ़ले सत्र में इसी तरह मानसिक बंधता व प्रताड़ना का शिकार भारतीय छ़ात्र नैतिक उपाध्याय निवासी बिहार, दीपक कौशिक निवासी बिहार व आशीष बडौदा निवासी जयपुर, राजस्थान को ४० लाख रुपया फीस लेने के बावजूद कालेज से निकाल दिया गया। और ४ वर्ष इस कालेज में पढ़ाई के नाम पर बंधक बनाए रखा गया।
पीड़ित छ़ात्रों का कहना है कि कालेज में एड़मिशन के वक्त उन्हें गुमराह किया जाता है। फिर पूरी फीस जमा करवाने के बाद उन पर नेपाली भारतीय भेदभाव व कालेज प्रशासन के तुगलगी फ़रमानों के रुबरु करा दिया जाता है।
वह चार वर्ष तक एक प्रकार से बंधक की तरह हो गये हैं।
छ़ात्रों ने अपनी पूरी व्यथा दूरभाष से अपने अभिभावकों को बताई है। कालेज का कोई जिम्मेदार व्यक्ति न तो छ़ात्रों की कोई सुनवाई कर रहा है न ही अभिभावकों का फोन उठ़ा रहा है।
१ अप्रैल को सभी छ़ात्रों के अभिभावकों की भैरहवा मेड़िकल कालेज पर आने व कालेज प्रशासन का घेराव करने की ख़बर मिली है।
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