खनुआ से हरदी डाली गांव के बीच नोमेंस लैंड पर बन रहे 19 नये पिलर
खनुआ से हरदी डाली गांव के बीच नोमेंस लैंड पर बन रहे 19 नये पिलर
आई एन न्यूज नौतनवा (धर्मेंद्र चौधरी) भारत-नेपाल की संयुक्त बाउंड्री वर्किंग ग्रुप ( BWG) की देखरेख में नोमेंस लैंड़ पर नये पिलरों को बनाने काम जारी है। जिसके क्रम में नौतनवा तहसील क्षेत्र के सरहदी गांव खनुआ, बरगदी व हरदीडाली गांव सट़े नोमेंस लैंड़ों पर नये मिनी पिलरों का निर्माण चल रहा है। कुल २९ पिलर बनने हैं। जिसमें १९ पिलरों का निर्माण लगभग पूर्ण हो गया है।
यह मिनी पिलर बड़े पिलर संख्या ५२३ से ५२५ के बीच बने हैं। क्योंकि इस दूरी में नोमेंस लैंड़ निर्धारण में काफी दिक्कत आ रही थी, और नोमेंस लैंड़ पर अतिक्रमण का ख़तरा बढ़ गया था।
बतादें कि भारत-नेपाल की आपसी सहमति से पिलर निर्माण के पहले चरण की जिम्मेदारी नेपाल को दी गई है। जबकि दूसरे चरण में चिन्हित स्थानों पर पिलरों का निर्माण भारत को कराना है।
इस निर्माण के लिए वर्ष २०१६ में ही सर्वे आफ इंडिया व सर्वे आफ नेपाल की महत्वपूर्ण बैठ़क का सिलसिला चला था। जिसमें नदी क्षेत्र में पिलर बनाने पर काफी वार्ता हुई थी। चूंकि एक पिलर निर्माण की लागत करीब १ करोड़ रुपये आ रही थी। इस लिए कई बार बजट़ समस्या पर भारत व नेपाल के बीच आपसी सहमति नहीं बन पा रही थी।
दोनों देशों की फील्ड़ सर्वे ट़ीम ने जब करीब १२२२ स्थानों पर पिलरों की दरकार बताई, और मामले पर ध्यान न दिये जाने से कई स्थानों पर सीमा विवाद उत्पन्न होने की संभावना बताई। तो देशों के बीच ६०३ पिलर निर्माण की सहमति बनी। यह सभी निर्माण नदियों में होने हैं। जिसकी डिजाइन नदी की विशालता व प्रवाह को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।
भारत-नेपाल सीमा के ११ नदियों में पिलर बनना है।
जिसमें बिहार की मेचा (महानंदा), घाघरा, शारदा, कर्णाली, कनकाई, कमला, बागमती, कोसी व पंचनंद।
उत्तर प्रदेश की राप्ती, डंडा, करनाली, दोमुहाना व महाकाली। उत्तराखंड़ की महाकाली नदियों में बड़े पिलर बनने हैं।
मिनी पिलर कम लागत वाले हैं पुरानी व सूख चुकी नोमेंस लैंडीय नदियों में बनने हैं। बतादें कि नोमेंस की चौड़ाई १८.२ मीटर है।