बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अब फांसी की सजा, अध्यादेश मंजूर
इंडो नेपाल न्यूज डेस्क नई दिल्ली::देश में नाबालिकों के साथ हुए दुष्कर्म के बाद 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से दुष्कर्म करने के दोषियों को फांसी की सजा देने वाले अहम अध्यादेश को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। इसमें बच्चों के साथ होने वाली बर्बरता के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया था। मोदी सरकार ने अपने घोषणा पत्र में महिला सुरक्षा का मजबूती से दावा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। इसी साल जब शिमला, कठुआ और उन्नाव में हुए गैंगरेप के मामलों मे तूल पकड़ा तो सरकार सचेत हो गई।
रेप की घटनाओं में सख्त सजा के प्रावधान का फैसला किया गया। कैबिनेट में इससे संबंधित प्रस्ताव पारित किया गया। रेपिस्टों को मौत की सजा दिए जाने संबंधित अध्यादेश को मंजूरी दी गई। इसके लिए ‘प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस’ यानी पॉक्सो कानून में जरूरी संशोधन किए गए। इससे संबंधित अध्यादेश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा गया, जिसे उन्होंने महज 24 घंटे के अंदर मंजूरी दे दी। अब 12 साल तक के मासूमों से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी।
16 वर्ष तक की आयु की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को 20 वर्ष के कारावास की सजा या उम्र कैद होगी। उम्र कैद का मतलब पूरी आयु जेल में रहना होगा। 16 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से सामूहिक दुष्कर्म के दोषी भी पूरी जिंदगी जेल में रहेंगे। 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म में दोषियों को मौत की सजा होगी। अध्यादेश के तहत जांच का काम दो महीने में पूरा करना होगा। मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी करनी होगी। अगर देरी की जाती है तो इसकी सूचना सर्वोच्च न्यायालय को देनी होगी।
पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को सुने बिना मामले में जमानत नहीं होगी। गौरतलब है कि कठुआ मामले में जम्मू कश्मीर समेत देश में फैले आक्रोश को देखते हुए मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि ऐसे वारदातों को रोकने के लिए सख्त से सख्त कानून बनाया जाएगा। केंद्र सरकार ने 21 अप्रैल को अध्यादेश लाकर 12 वर्ष से कम उम्र की आयु की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा का प्रावधान शामिल किया। उसके बाद राज्य सरकार ने दो अध्यादेश लाए।
दूसरे अध्यादेश जम्मू एंड कश्मीर प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्युसल हिंसा अध्यादेश 2018 के तहत यौन उत्पीड़न करने पर सजा का प्रावधान शामिल किया है। यह अध्यादेश बच्चों के मैत्रीपूर्ण तरीकाकार के प्रावधान उपलब्ध करवाएगा। इसमें रिपोर्टिग, सुबूतों की रिकॉर्डिग जांच शामिल होंगे। ऐसे मामलों की सुनवाई के लिये विशेष अदालतें बनाई जाएगी। यह अध्यादेश यह सुनिश्चित करेगा कि सभी शिक्षण संस्थान बच्चों की सुरक्षा यकीनी बनाए और यौन उत्पीड़न के मामलों को गोपनीय रखा जाए।राज्यपाल ने कहा कि गृह विभाग इन पर सख्ती से कार्रवाई करे और अध्यादेशों के तहत मामलों की जांच की निगरानी के लिए तंत्र बनाए।