अगर कम पढ़े लिखें हैं तो शोसल मीडिया से रखें उचित दूरी
कम पढ़े लिखें हैं तो शोसल मीड़िया से रखें उचित दूरी
इंडो नेपाल न्यूज ब्यूरो महराजगंज :: पूर्वांचल में पिछ़ले पांच वर्षों के भीतर ड़िजिटल क्रांति शहरों के अलावा कस्बों व गांवों में भी तेजी से पांव पसार रही है। सबसे अधिक परिवर्तन मोबाइल फोन के स्वरुप में हुआ है। की- पैड़ वाले सस्ते मोबाइल फोन के स्थान महंगे मल्टीमीडिया एंड्रायड़ फोन सेट़ अब युवाओं से लगाये उम्रदराजों को भा रहे हैं। ऊपर से तमाम कंपनियों के थ्री जी, फोर जी नेटवर्क, कहीं कहीं जीओ के फर्राट़ा इंटरनेट़ कनेक्शन लगातार लोगों को शोसल मीड़िया के आगोश में लेते चले जा रहे हैं। लेकिन यह शोसल मीड़िया उन लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है जो, कम पढ़े लिखे ओर शोसल मीड़िया के कम जानकार है। फेसबुक व ह्वाट्सएप पर अज्ञानता वश कोई ट़िप्पणी या साझाकरण लगातार विवाद के कारणों के रुप में उभर रहा और लोगों को आईट़ी एक्ट़ के तहत मुकदमें के तहत जेल जाना पड़ रहा है।
यहां माना जाय तो एक चीज़ सही हो रही है कि फेसबुक या ह्वाट्सएप लोगों के ज्ञान व बौद्धिक स्तर की कड़ी परीक्षा ले रहा है। धर्म से जुड़े चीजों पर आपत्ति ट़िप्पणी, किसी को व्यक्तिगत आहत करने वाली बातें, राजनैतिक पार्ट़ियों के विवादित पोस्ट़ से फेसबुक व ह्वाट्सएप के तमाम ग्रुप लोगों को इतने गुमराह कर रहे हैं, कि लोग सच्चाई से परे हो जा रहे हैं।
इधर अब हाल में मुकदमें बाजी का दौर शुरु हुआ है। नौतनवा के दो युवकों पर हाल ही में आईट़ी एक्ट़ के तहत मुकदमा हुआ है। इसके पूर्व भी धार्मिक या व्यक्तिगत आहत के ट़िप्पणी के मामले आये दिन आते रहते हैं।
इसलिए फेसबुक या ह्वाट्सएप चलाते समय काफी सावधानी बरतें। साथ ही अपने फ्रेंड लिस्ट़ या ग्रुप समुह में ऐसे लोगों को कत्तई न जोड़ें जो कि अपरिचित हो। शोसल मीड़िया पर किसी भी अहम चीज़ पर ट़िप्पणी करते समय अभिव्यक्ति की आज़ादी संबंधी संवैधानिक बातों का अध्यययन जरुर होना चाहिए। इसलिए कभी भी धार्मिक या व्यक्ति विशेष पर ट़िप्पणी के दौरान शब्द चयन पर ध्यान रखें।