SC/ST एक्ट में होगी तुरंत गिरफ्तारी, सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटेगी मोदी सरकार
आई एन न्यूज डेस्क नई दिल्ली। दलित समुदाय की नाराजगी को देखते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने SC/ST एक्ट को पुराने और मूल स्वरूप में लाने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने बुधवार को एससी-एसटी ऐक्ट के मूल प्रावधानों को बहाल करने संबंधी विधेयक के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
आप को बता दे इससे पहले एनडीए के कई घटक दल इस मुद्दे पर काफी आक्रामक तेवर अपनाए हुए थे। रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी ने तो आंदोलन की धमकी तक दे डाली थी। ऐसा कहा जा रहा है कि विपक्ष के बीच बीएसपी सुप्रीमो मायावती के उभार को काउंटर करने के लिए मोदी सरकार ने यह कदम उठाया है।
बता दें कि इसी साल 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट 1989) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को दलित संगठन सड़कों पर उतरे थे। दलित समुदाय ने दो अप्रैल को ‘भारत बंद’ किया था। केंद्र सरकार को विरोध की आंच में झुलसना पड़ा। देशभर में हुए दलित आंदोलन में कई इलाकों में हिंसा हुई थी, जिसमें एक दर्जन लोगों की मौत हो गई थी।
संशोधन विधेयक के बाद ये होगा
सूत्रों की मानें तो एससी\एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18 A जोड़ी जाएगी। इसके जरिए पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा। इस तरीके से सुप्रीम कोर्ट के किए प्रावधान रद्द हो जाएंगे और अब ये प्रावधान होगा-
-एससी/एसटी एक्ट में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है।
-आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी, हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकेगी।
-एससी/एसटी मामले में जांच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर करेंगे।
-जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा।
-एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी।
-सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होगी।
लोजपा नेता व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सरकार के इस फैसले पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती पर जमकर कोसा और कहा कि उन्होंने इस कानून की धज्जियां उड़ा दी थी। उन्हें जवाब देना था। केंद्र की राजग सरकार ने दलितों के हितों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने में कोई विलंब नहीं किया। पासवान ने बकौल प्रधानमंत्री मोदी कहा कि इससे भी सख्त उपाय करने को विपक्षी दलों के सुझाने पर भी हम उसे स्वीकार करेंगे।