मानव तस्करी पर रोक थाम विल संसद मे पास हो जाने से नेपाल सीमा से मानव तस्करी रुकने की बढ़ी उम्मीद

मानव तस्करी पर रोक थाम विल संसद मे पास हो जाने से नेपाल सीमा से मानव तस्करी रुकने की बढ़ी उम्मीद

मानव तस्करी पर रोक थाम विल संसद मे पास हो जाने से नेपाल सीमा से मानव तस्करी रुकने की बढ़ी उम्मीदमानव तस्करी पर रोक थाम विल संसद मे पास हो जाने से नेपाल सीमा से मानव तस्करी रुकने की बढ़ी उम्मीद
आईएन न्यूज डेस्क
महराजगंज.केन्द्र सरकार के द्वारा पारित मानव तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) विल 2018  बच्चों एवं महिलाओं के तस्करी पर रोक लगाने में कारगर सिद्ध होगा यदि इसका सही से पालन हो.इस विल के कानूनी रूप ले लेने से  दोषियों पर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है. नेपाल सीमा पर मानव तस्करी एक बड़ी समस्या है. इसके रोकथाम के लिए नेपाली क्षेत्र मे जहां मायती नामक स्वयंसेवी संस्था सक्रिय है वहीं भारत की मानव संस्था सेवा संस्थान सेवा नामक स्वयं सेवी संस्था कई सालों से नेपाल सीमा पर स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर काम कर रही है.
निश्चित ही इनकी तत्परता से इस गैरकानूनी कार्य मे कमी आई है बावजूद इसके नेपाल की खुली सीमा से मानव तस्करी का धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा . अभी पिछले दिनों पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी मे 150 नेपाली महिलाओं के बंधक बना कर रखने का मामला सुरखियों मे रहा.
लोकसभा मे उक्त संबंधी विल पारित हो जाने खुशी व्यक्त करते हुए मानव सेवा संस्थान सेवा के संचालक राजेश मणि ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा नेशनल एन्टी टेफिकिंग ब्यूरों की स्थापना से मानव तस्करी के राष्ट्रीय एवं अतराष्ट्रीय मामले को सुलझाना आसान होगा.कहा की केन्द्र सरकार द्वारा पारित किया गया मानव तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) बिल 2018 स्वागत योग्य.मानव तस्करी रोकने संबंधी यह विल संसद मे.26 जुलाई को. पारित हुआ है.
संस्थान के निदेशक राजेश मणि ने कहा कि बच्चों एवं महिलाओं की तस्करी ,इनका व्यापार, शोषण एवं उत्पीड़न का मामला कोई नया  नही है.नेपाल सीमा पर आये दिन इन समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है। देश में कड़े कानूनी प्राविधान के अभाव में इस घृणित कृत्य को पेशा बना चुके अपराधी पकड़े जाने के बाद भी बच जाते थे परन्तु अब केन्द्र सरकार  द्वारा परित किये गये नये मानव तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) बिल 2018 के माध्यम से इस अपराध पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित होने के साथ ही अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलने की उम्मीद की जानी चाहिए.इस विधेयक का नाम मानव तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) बिल 2018 है.
इस बिल में मानव तस्करी को रोकने के लिए बचाव , सुरक्षा के साथ ही पुनर्वास एवं अभियुक्त को कड़ी से कड़ी सजा के साथ ऐसे मामलों का निपटारा तय समय सीमा के अंदर किये जाने का भी प्राविधान है. इससे जुड़े गंभीर मामलों में दोषी को आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है. नए विल में इस बात का भी प्रावधान है कि पीड़ितों का पुनर्वास भी जल्द से जल्द किया जाये। इस विल में मानव तस्करी के अपराध से निपटने के लिए जिला और राज्य से लेकर केंद्र सरकार के स्तर तक जिम्मेदारी निर्धारित की गई हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन  एजेंसी, एंटी ट्रैफिकिंग ब्यूरो )का भी कार्य करेगी।
बिल में पीड़ितों के पुनर्वास के लिए एक अलग से फंड बनाने का भी प्रावधान है जिसका उपयोग पीड़ित को समाज में फिर से सम्मानित जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है. इसके अलावा, पीड़ितों को दीर्घकालिक पुनर्वास प्रदान करने के लिए केंद्रीय या राज्य सरकार प्रत्येक जिले में पुनर्वास गृह की स्थापना करेगी. केंद्र सरकार एक पुनर्वास निधि भी तैयार करेगी, जिसका उपयोग इन संरक्षण और पुनर्वास गृहों को स्थापित करने के लिए किया जाएगा.
पुनर्वास निधि मे पिड़ित को शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य देखभाल मनोवैज्ञानिक समर्थन, कानूनी सहायता, सुरक्षित आवास इत्यादि सहित पीड़ित के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण भी है.इसके लिए पहले वर्ष में 10 करोड़ रुपये और अगले दो वर्षों में 20 करोड़ रुपये पुनर्वास के लिए अनुमानित किया गया है.

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