बकरीद विशेष ——बकरीद पर, जानें क्यों दी जाती है बकरे की ही कुर्बानी

बकरीद विशेष ------बकरीद पर, जानें क्यों दी जाती है बकरे की ही कुर्बानी

बकरीद विशेष ——
बकरीद विशेष ------बकरीद पर, जानें क्यों दी जाती है बकरे की ही कुर्बानीबकरीद विशेष ------बकरीद पर, जानें क्यों दी जाती है बकरे की ही कुर्बानीबकरीद पर, जानें क्यों दी जाती है
बकरे की ही कुर्बानी ।
इंडो नेपाल न्यूज डेस्क:
ईद-उल-अजहा यानी बकरीद बुधवार यानी आज 22 अगस्त को मनाई जा रही है। ईद-उल-फितर यानी मीठी ईद के बाद मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार बकरीद आता है। मीठी ईद के ठीक 2 महीने बाद बकरीद आती है। हिंदुओं में होली और दिपावली सबसे बड़े त्योहार हैं, उसी प्रकार मुस्लिम समुदाय में ये दोनों ईद बड़े त्योहार हैं। इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर बकरीद पर बकरे की कुर्बानी क्यों दी जाती है, इस दिन कुर्बानी देने का क्या महत्व है…

बकरीद विशेष ------बकरीद पर, जानें क्यों दी जाती है बकरे की ही कुर्बानीतीन हिस्सों में बांटा जाता है गोश्त
बकरीद के दिन सबसे पहले नमाज अदा की जाती है। इसके बाद बकरे या फिर अन्य जानवर की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी के बकरे के गोश्त को तीन हिस्सों करने की शरीयत में सलाह है। गोश्त का एक हिस्सा गरीबों में तकसीम किया जाता है, दूसरा दोस्त अहबाब के लिए और वहीं तीसरा हिस्सा घर के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

बकरीद विशेष ------बकरीद पर, जानें क्यों दी जाती है बकरे की ही कुर्बानीयहां से हुई थी शुरुआत

इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, एक पैगंबर थे हजरत इब्राहिम और माना जाता है कि इन्हीं के जमाने से बकरीद की शुरुआत हुई। वह हमेशा बुराई के खिलाफ लड़े। उनका ज्यादातर जीवन जनसेवा में बीता।

बकरीद विशेष ------बकरीद पर, जानें क्यों दी जाती है बकरे की ही कुर्बानीपहले दी थी इसकी कुर्बानी

90 साल की उम्र तक उनकी कोई औलाद नहीं हुई तो उन्होने खुदा से इबादत की और उन्हें चांद से बेटा इस्माईल मिला। उन्हें सपने में आदेश आया कि खुदा की राह में कुर्बानी दो। पहले उन्होंने ऊंट की कुर्बानी दी। इसके बाद उन्हें सपने आया कि सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दो।

फिर आया सपना ,इब्राहिम ने सारे जानवरों की कुर्बानी दे दी। उन्हें फिर से वही सपना आया, इस बार वह खुदा का आदेश मानते हुए बिना किसी शंका के बेटे के कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने अपनी पत्नी हाजरा से बच्चे को नहला-धुलाकर तैयार करने को कहा।

बकरीद विशेष ------बकरीद पर, जानें क्यों दी जाती है बकरे की ही कुर्बानीइस तरह मिला बच्चा

इब्राहिम जब वह अपने बेटे इस्माईल को लेकर बलि के स्थान पर ले जा रहे थे तभी इब्लीस (शैतान) ने उन्हें बहकाया कि अपने जिगर के टुकड़े को मारना गलत है। लेकिन वह शैतान की बातों में नहीं आए और उन्होंने आखों पर पट्टी बांधकर कुर्बानी दे दी। जब पट्टी उतारी तो बेटा उछल-कूदकर रहा था तो उसकी जगह बकर यानी बकरे की बली खुदा की ओर से कर दी गई।

बकरीद विशेष ------बकरीद पर, जानें क्यों दी जाती है बकरे की ही कुर्बानीइसलिए दी जाती है बकरे की कुर्बानी

हजरत इब्राहिम ने खुदा का शुक्रिया अदा किया। इब्राहिम की कुर्बानी से खुदा खुश होकर उन्होंने पैगंबर बना दिया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि जिलहिज्ज के इस महीने में जानवरों की बलि दी जाती है। इसलिए बकरीद पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है। वहीं मुस्लिम हज के अंतिम दिन रमीजमारात जाकर शैतान को पत्थर मारते हैं जिसने इब्राहिम को खुदा के आदेश से भटकाने की कोशिश की थी।

बकरीद विशेष ------बकरीद पर, जानें क्यों दी जाती है बकरे की ही कुर्बानी

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Translate »
  1. ब्रेकिंग न्यूज़: ऊ०प्र०- जिले की हर छोटी बड़ी खबर लाइव देखने के लिए
  2. जुड़े रहे इंडोनेपालन्यूज़ के फेसबुक पेज से, शहर के हर छोटी बड़ी खबर हम आपको लाइव दिखाएंगे