सोनौली बार्डर पर एक शौचालय ने सोये हुए पर्यटन विभाग को जगा दिया?
सोनौली बार्डर पर एक शौचालय ने सोये हुए पर्यटन विभाग को जगा दिया?
धर्मेंद्र चौधरी की एक विशेष रिपोर्ट
इंडो नेपाल न्यूज ब्यूरो महराजगंज:सोनौली बार्डर पर कौन सा विभाग कब और किन कारणों से हलचल में आ जाये या फिर यूं कहें कि जाग जाये, कुछ़ कहा नहीं जा सकता है।
अभी हाल ही में उपजा एक विवाद ख़ासा चर्चाओं में है। एक शौचालय निर्माण में नगर पंचायत व पर्यटन विभाग आमने-सामने हैं। ऊपर तक चिट्ठ़ी-पत्री लिखी जा रही है। पर्यटन विभाग एक महिला शौचालय भवन के न बनाये जाने के पक्ष में है। उसका कहना है कि बन रहा शौचालय होटल निरंजना के प्रवेश गेट के सामने है। जो कि ठ़ीक नहीं है, पर्यट़कों पर अच्छ़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
वहीं दूसरी तरफ नगर पंचायत विभाग यह कह रहा है कि शौचालय निर्माण से पर्यटकों को ही सहुलियत होगी, पर्यटन विभाग की आपत्ति बेजा है।
हाल फिलहाल मामला जिलाधिकारी पर आ गया है कि वह मौके की जांच व दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद निर्णय क्या करेंगे । बात ड़ीएम के आश्वासन के बाद ख़त्म हो जायेगी। या न्यायालयों की पुकार तक चला जायेगा। यह तो भविष्य की बातें हो गई।
लेकिन जो स्थितियां उपजी हैं। उसमें गलती किसकी है।
पर्यट़क विभाग से शुरु करते हैं। सोनौली सरहद पर वर्षों से तैनात यह विभाग पहली बार हरकत में दिख रहा है। पहली बार ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पर्यटन विभाग पर्यटकों के लिए कितना भावुक और संजीदा है। पर्यटकों के मनोपट़लीय भावना को भी पढ़ कर बैठ़ा है कि एक होट़ल के द्वार पर शौचालय भवन रहेगा, तो पर्यट़क छ़ी-छ़ी थू-थू करेंगे । जाहिर है पर्यटन विभाग में मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति के लोग भी तैनात हैं।
लेकिन तब पर्यटन विभाग के मनोवैज्ञानिक कहां रहते हैं जब उसी होटल के सामने विदेशी या देशी पर्यटकों के साथ ठ़गी या छ़िनैती होती है। भटके पर्यटकों को प्राइवेट टुरिस्ट गाइड और भट़का देते हैं। तब ये पर्यटन विभाग के कथित चिट्ठ़ी-पत्री वाले कहां सोये रहते हैं। झाड़-झंखाड़ से पट रहे होट़ल निरंजना के परिसर को किस छ़वि के लिए छ़ोड़ा गया है? क्या इसलिए कि विदेशी पर्यट़क यह कहेंगे कि “ओह,,इट्स नेचुरल” ?
पर्यटन विभाग आज नगर पंचायत विभाग के प्रति तल्ख है। क्या यह तल्खी तब से उभरी जब से नगर पंचायत व पर्यटन विभाग ने गलबहियां मिलाकर होटल निरंजना में रेस्ट़ोरेंट़ का उद्घाट़न किया है? या फिर किन्हीं और कारणों से ?
नगर पंचायत विभाग पर भी आते हैं। महिला शौचालय का निर्माण हो रहा है। अच्छी बात है। लेकिन कहां ? एनएच-२४ की भूमि पर और किसी के भवन परिसर से समक्ष हो रहा है। बार्डर है! आपत्ति की तनिक भी गुंजाइश तिल का ताड़ तो बनेगी ही!
सवाल यह कि नपं प्रशासन ने एनएच और पर्यटन विभाग से एनओसी लेने की क्यों नहीं सोंची?
या फिर यह सिद्धांत लगा दिया कि जब एनएच पर पार्किंग शुल्क वसूला जा सकता है, तो एक शौचालय निर्माण कौन रोकेगा?
,,खैर यहां सबकी अपनी अपनी दुहाई है। सभी को अचानक सैलानियों की सहुलियत पर प्यार जग गया है। सवाल यह कि अगर नियत में साफ़गोई रहती तो विवाद क्यों खड़ा होता? कहीं न कहीं कुछ़ तो है,,,