“मणि” व “कुंवर” खेमें की हलचल बढ़ी,खामोश भाजपाईयों ने बढ़ाया सस्पेंस
“मणि” व “कुंवर” खेमें की हलचल बढ़ी,खामोश भाजपाईयों ने बढ़ाया सस्पेंस
इंडो नेपाल न्यूज ब्यूरो (धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट) लोक सभा चुनाव 2019 का आगाज़ कुछ़ माह बाद शुरु होने वाला है। जिसके मद्द्देनजर नौतनवा क्षेत्र के प्रमुख सियासतदार भी अब हरकत बढ़ा दिये हैं। हरकत के लिए मुद्दा तलाश रहे हैं, मुद्दा नहीं है तो अखबारों में विरोधियों पर ही निशाना साध अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। लेकिन यहां एक दिलचस्प राजनीतिक रोचकता व सियासी रहस्य पांव पसारना शुरु कर दिया है। जो कि “मणि खेमें” व सत्ताधारी “भाजपा” के रसायन विज्ञान के इर्द-गिर्द है।
पिछले कुछ दिनों में पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश सिंह प्रेस वार्ता कर मणि खेमें पर हमला बोल रहे हैं। यह एक रुट़ीन ट़ाइप का राजनैतिक स्टंट माना जा सकता है।
वहीं निर्दल विधायक अमनमणि त्रिपाठी ने सोनौली में एक ट्रांसपोर्टर की मौत मामले में प्रदर्शन कर अपनी जमीनी ताकत दिखाने का प्रयास किया। यह सामान्य तौर पर रुट़ीन राजनैतिक स्टंट दिख सकता है। लेकिन भाजपा और विधायक अमनमणि के अब तक की करीब़ियों पर ड़ाली जाय। तो सोनौली में हुआ प्रदर्शन अपने आप में कुछ “अप्रत्याशितता” समेटे हुए है।
भाजपा के विधायक प्रत्याशी रह चुके व वर्तमान भाजपा विधान सभा प्रभारी समीर त्रिपाठी , अमनमणि के भाजपा की करीबी तरह के स्टंट से 2019 लोकसभा चुनाव कितने खुश व तल्ख हो सकते हैं। यह एक बड़ी रोचकता हो सकती है।
नौतनवा में चेयरमैन गुड्डू खान बनाम भाजपा नेता जगदीश गुप्त व हिंदु युवा वाहिनी जिलाध्यक्ष व चेयरमैन गुड्डू खान की करीब़ियों की चर्चाएं अब सरेआम हो गई हैं।
हालांकि यह माना जा रहा है कि नौतनवा क्षेत्र में भाजपाईयों के बीच ही उभर रही गांठ को गलाने में भाजपा सांसद पंकज चौधरी एक “किंगमेकर” की भूमिका निभा सकते हैं। यह कितना आसान और कैसे होगा, देखने वाली बात हो सकती है।
परिकल्पना कीजिए एक ही मंच पर सांसद पंकज चौधरी, विधायक अमनमणि त्रिपाठी, समीर त्रिपाठ़ी, गुड्डू खान, सुधीर त्रिपाठी, नरसिंह पांडेय व जगदीश गुप्त हैं। शायद यही परिकल्पना भाजपा के खांके में ही है। आदर्श खांका तो है। लेकिन यह खांका चुनाव तक बरकरार रहेगा। इसकी सौ फीसद गारंट़ी कौन ले सकता है। ,,खैर सियासत है सब कुछ हो सकता है।
बीते विधान सभा चुनाव की खट्टी-मीठ़ी यादों को संजोये नौतनवा में भाजपा के मुख्य खेमें में कुछ चुप्पियां बरकार हैं। जो कि सियासी रोचकता व रहस्य बनाए हुए हैं। ,,बाकी कार्यकर्ता बैठक और सरकार की योजनाओं को जनजन तक पहुंचाने का काम चल ही रहा है। है कि नहीं?
कुंवर खेमा भी गठबंधन का सांसद प्रत्याशी होने का दावा कर 2019 की लड़ाई के फुल मूड में है। बसपा खेमा जमीन पर तो मूवमेंट में है। लेकिन लोक सभास्तरीय चेहरा फिलहाल चर्चाओं तक ही सीमित है।
आगे-आगे देखिये होता है क्या?