नेपाली करेंसी पकड़ने की कवायद्! सुरक्षा ऐजेंसियों का वाहवाही स्टंट या कुछ़ और,,
नेपाली करेंसी पकड़ने की कवायद्! सुरक्षा ऐजेंसियों का वाहवाही स्टंट या कुछ़ और,,
इंड़ोनेपाल न्यूज ब्यूरो, नेपाल ( धर्मेंद्र चौधरी)
भारत-नेपाल समझौते के अनुसार नेपाली नागरिक भारत में चुनाव नहीं लड़ सकता, आईएएस व आईएफएस की नौकरी नहीं कर सकता। इसके अलावा वह एक प्रकार हर उस अधिकार का हकदार है, जितना कि भारतीय नागरिक हैं। नेपाली नागरिक भारत में संपत्ति अर्जन कर सकता है, नौकरियां कर सकता है, सेना में रह सकता है,,,वगैरह ,,वगैरह तरह के तमाम समझौतें हैं।
,,,फिर भारत-नेपाल सीमा पर नेपाली या भारतीय करेंसी लेकर सरहद पर आरपार कर रहे लोगों को पकड़ लिए जाना कितना बाजिब है। हवाला या आईसीएनसी जैसे कथित व चर्चित मामलों में यह मामला गलत प्रतीत होता है। पिछ़ले दस वर्षों में इस तरह के सैकड़ों मामले घोषित कर सरहद पर तैनात एजेंसियों ने खबरी सुर्खियां भी बटोरी। ऊपर तक कटिंग भेज कर अपनी पीठ़ भी थपथपवाई। लेकिन परिणाम का आलम यह रहा कि सैकड़ों मामलों में एक भी मामला ऐसा नहीं पाया गया है, जिसमें न्यायालय ने एजेंसियों के दावों को स्विकार किया। सभी करेंसी के मामले भारतीय न्यायपालिका से गुजरते हुए बाइज्जत बरी हो गये हैं।
एक नई बानगी एसएसबी ने सोनौली कोतवाली क्षेत्र के भगवानपुर में रविवार की देर रात प्रस्तुत की।
सुजीत चौधरी पुत्र विष्णु प्रसाद चौधरी निवासी पटखौली वार्ड नं 5 रुपंदेही नेपाल को 14 लाख नेपाली करेंसी के साथ पकड़ा। जो पूछताछ में यह कहता रहा कि वह घर के निर्माण कार्य के लिए सामान लेने भारत के नौतनवा बाजार जा रहा था।
एसएसबी को क्या गाइड़ लाइन है, यह तो सरकार जाने? फिर भी अपनी वाहवाही का एक और ठ़िकरा कस्टम विभाग के सुपुर्द कर दिया।
कस्ट़म उपायुक्त शशांक यादव ने भी औपचारिता निभाई। कहा कि एसएसबी ने 14 लाख नेपाली मुद्रा को बरामद किया है, जिसको सीज कर अग्रिम कार्यवाई की जा रही है।
सवाल यह कि अग्रिम कार्यवाई क्या होगी? किस न्यायालय में जायेगा यह मामला? इसका स्पष्टीकरण किसके पास है?
,,,या फिर कोई ऐसी कवायद् चल रही है। जो चुपके से भारत-नेपाल समझौते के विपरीत है। इधर से भी-उधर से भी!