नौकर शाहों के लिए सबक है महराजगंज डूडा अधिकारी प्रकरण
नौकर शाहों के लिए सबक है महराजगंज डूडा अधिकारी प्रकरण
इंड़ो नेपाल न्यूज ब्यूरो महराजगंज: (धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट) महराजगंज जिले के डूडा परियोजना अधिकारी के कुछ़ विड़ियो व फोट़ोग्राफ्स को जिस अंदाज में परोसने की कोशिश की गई और ह्वाट्सएप के गलियारों में दौड़ाया गया। उसमें कई राज छुपे हुए हो सकते हैं। तमाम किरकिरी के बावजूद जिला प्रशासन की मामले में ख़ामोशी, काफी कुछ़ बयां कर रही है। क्या यह एक तरह के आपराधीकरण को बढ़ावा नहीं है?
एक निजी समाचार चैनल ने इस तरह तक का श्लोगन लगाकर समाचार प्रसारित कर दिया कि “जनता के पैसे पर अधिकारी की अय्याशी“।
फिर भी जिलाप्रशासन चुप्पी साधे है,,कुछ़ तो जुबान खुलनी चाहिए,,अपनी सफाई में ही सही।
मामले में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। खासकर पत्रकारों व नौकरशाही अमले के बीच। हैरत की बात तो यह है कि पत्रकार केवल चर्चा ही कर रहें,,मामले में पड़ताली कलम उठ़ा ही नहीं रहे हैं। क्या इसे एक पेशे की गरिमा से समझौता व अपराधीकरण नहीं माना जाना चाहिये ।
,,अभी एक गरीब परिवार की कोई कथित आपत्तिजनक फोट़ो वायरल हो जाए, तो फालोअप लिखने की होड़ व नौकरशाहों की फुर्ती देखने लायक होती है।
लेकिन इस मामले में फालोअप लिखने वालों के कलम की स्याही सूखी सी लग रही है,और नौकरशाहों की फुर्ती को लकवा मार गया है। क्या यह एक बड़ा अपराध नहीं है?
फिलहाल पूरे प्रकरण ने नौकरशाहों को एक सबक तो दे ही दिया है, कि वह महराजगंज जिले पत्रकारों को अपना पोस्टर, बैनर व प्रचारी माध्यम का एजेंट़ समझने की भूल कर बैठते हैं।
इंड़ो नेपाल न्यूज ने इस लेख के माध्यम से डूडा परियोजना अधिकारी प्रकरण पर सवाल खड़े कर, अपना मूल कर्तव्य निभाया है। और हर उस मामले पर सवाल खड़ा करेगा जहां गलत होता प्रतीत होगा।
इस मामले पर इस तरह के सवालों से लैस लेख तब तक आते रहेंगे। जब तक कि एक-एक कड़ी उजागर न हो।
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