-पाकिस्तान वाया नेपाल होते हुए आता था भारतीय जाली मुद्रा

-पाकिस्तान वाया नेपाल होते हुए आता था भारतीय जाली मुद्रा

​आई एन न्यूज ठूठीबारी/महाराजगंज

कालाधन व आतंकवाद पर रोक के लिए लिए गये फैसले से सभी हुए चित

– 1000-500 नोट अपने बनते जा रहे है कुड़े की ढ़ेर

– जाली नोटों के कारोबार से भारत के अर्थ व्यवस्था पर चोट की कोषिष हुई नाकाम

-नेपाल मे भारतीय अपराधियों को सौपी गई थी नकली नोटों को प्रचलन मे लाने की जिम्मेदारी

अरूण कुमार वर्मा
जिस प्रकार से भारत सरकार ने अचानक कालाधन व आतंकवाद के खात्मा के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया उससे कालाबाजारियों व आतकंवाद को प्रसय देने वालों के हाथ पांव व पांव फूल से गयें। पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट बंद होने से जाली मुद्रा का जखीरा कूड़े का ढेर बन गया है। पश्चिम बंगाल के मालदा और पड़ोसी देश नेपाल से सूबे में जाली मुद्रा की खेप भेजी जाती रही है लेकिन नई आर्थिक क्रांति ने इस धंधे में जुटे तस्करों और माफिया की नींद उड़ा दी है। विशेषज्ञों का दावा है कि अब कुछ समय तक जाली मुद्रा का कारोबार ध्वस्त रहेगा।

जिस प्रकार से भारतीय क्षेत्र सहित नेपाल के तमाम क्षेत्रों मे विगत् के कुछ वर्षो मे नकली 500 व 1000 रूपए बरामद हुए है उससे यही प्रतीत हो रहा है कि पाकिस्तान सरहद पर बहुत कुछ ना कर पाने से भारतीय अर्थ व्यवस्था पर चोट पंहूचाने के लिए नेपाल को अपना जरिया बना भारतीय क्षेत्रों मे नकली नोट पंहूचाने के काम को अंजाम दे रहा था। नकली नोटों के साथ पकड़े गए लोगों की बात पर ऐतबार किया जाय तो इसका सुत्रधार पाकिस्तान के आईएसआई से जूड़ा हुआ है।

विगत् के कुछ वर्षो की तस्वीर पर हम गौर करें तो हमें कुछ इस प्रकार की तस्वीर दिखाई देती है।

नेपाली क्षेत्र मे बरामद हुए जाली रूपयों का कुछ लेखा जोखा

वर्श मामले गिरप्तारी बरामद

2011 51 53 2.30 करोड़

2012 29 69 52 लाख

2013 52 88 34 लाख

2014 32 38 35 लाख

2015

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