नाबालिग बच्चो ने गाड़ी चलाई तो पापा जाएंगे जेल:लखनऊ

आई एन न्यूज़ लखनऊ डेस्क:

कोई नाबालिग बाइक या कार से लखनऊ की सड़कों पर फर्राटा भरता मिला तो उसके पापा को जेल की हवा खानी पड़ेगी। यूपी की लखनऊ पुलिस आज से ऐसे अभिभावकों के खिलाफ विशेष अभियान शुरू करेगी। एसएसपी कलानिधि नैथानी के मुताबिक नाबालिगों को वाहन चलाने की अनुमति देना अपराध है। इसके लिए मुकदमा दर्ज कर अभिभावकों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है। बता दें कि इसी साल हैदराबाद में भी अपने नाबालिग बच्चों को ड्राइविंग सौंपने पर 26 पैरंट्स को जेल हुई थी।

एसएसपी ने कहा कि सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौतें नाबालिगों की हो रही हैं। अभिभावक भी 18 साल से कम उम्र के बच्चों को पावर बाइक और कार चलाने की इजाजत दे रहे हैं। पिछले छह महीनों में सबसे ज्यादा चालान ऐसे वाहनों के किए गए, जिन्हें नाबालिग चला रहे थे। अभिभावकों को चेतावनी देने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा। इसलिए अब अभिभावकों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

प्रमुख चौराहों पर होगी चेकिंग

एसएसपी ने बताया कि सभी एएसपी और सीओ को निर्देश हैं कि वे प्रमुख चौराहों पर बैरियर लगाकर कम उम्र के दिखने वाले वाहन चालकों को रोकें। उनसे ड्राइविंग लाइसेंस के साथ आधार, पैन कार्ड या ऐसे दस्तावेज मांगें, जिनसे उम्र का पता चल सके। कम उम्र वालों की गाड़ी तत्काल सीज कर उनके अभिभावकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रातभर हवालात में रखा जाएगा।

तीन महीने तक की सजा

एसएसपी कलानिधि नैथानी ने कहा कि मोटरयान अधिनियम की धारा 180 के तहत नाबालिग बच्चों को वाहन देने वाले अभिभावकों को तीन माह तक की सजा का प्रावधान है। उनका डीएल भी जब्त किया जा सकता है। आईपीसी में 88, 89, 109 सहित कई ऐसी धाराएं हैं, जो अपराध के लिए प्रेरित करने वालों पर लागू होती हैं। नाबालिग को वाहन देना भी जुर्म है, इसलिए अभिभावकों पर इन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की जा सकती है।

स्टंटबाजी ले रही जान

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं परिवहन मंत्रालय की शोध शाखा की रिपोर्ट के मुताबिक, केवल लखनऊ क्षेत्र में पांच साल के दौरान 7,144 हादसे हुए, जिनमें 3102 मौतें हुईं। राजधानी लखनऊ में इस साल हुए हादसों में 500 मौतें (नवंबर तक) हो चुकी हैं। ज्यादातर हादसे शाम 6 से रात 10 बजे बीच हुए। इसमें मरने वालों में 15 से 25 साल के युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। हादसों की वजह स्टंटबाजी, ओवरस्पीडिंग सामने आई है।

(सौजन्य से नवभारत टाइम्स)

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