सीबीआई पूर्व प्रमुख राव पर फूटा सुप्रीम कोर्ट का गुस्सा,अदालत की अवमानना पर ठोंका 1 लाख का जुर्माना
आई एन न्यूज नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व सीबीआई अंतरिम प्रमुख एम नागेश्वर राव के माफीनामे को खारिज कर दिया और उन्हें मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया. भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने राव पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया साथ ही राव को अदालत के एक कोने में तब तक बैठने का निर्देश दिया जब तक कि अदालत दिन के लिए नहीं उठती.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राव अदालत के निर्देश से अवगत थे कि एक सीबीआई अधिकारी को उसकी सहमति के बिना स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है. SC ने पूर्व CBI अंतरिम प्रमुख के खिलाफ अवमानना नोटिस पर सुनवाई करते हुए कहा कि “अगर यह अदालत की अवमानना नहीं है तो क्या है”!.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि राव ने अदालत से क्षमा याचना की है और पुलिस अधिकारी के रूप में उनका कैरियर बेदाग है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, “उनका रवैया जो भी रहा है, मैंने वही किया है जो मुझे करना था”.
सोमवार को, राव ने स्वीकार किया कि सीबीआई के अंतरिम प्रमुख के रूप में उन्होंने संयुक्त निदेशक एके शर्मा को स्थानांतरित करने में ‘गलती’ की. एके शर्मा वही सीबीआई अधिकारी थे जो मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामलों की जांच कर रहे थे. सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक ने भी सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगते हुए कहा कि उसका आदेशों को दरकिनार करने का कोई इरादा नहीं है.
राव ने 7 फरवरी को जारी किए गए अवमानना नोटिस के जवाब में एक हलफनामा दायर किया था जिसमे उन्होंने कहा था कि वह अदालत से बिना शर्त माफी चाहते हैं.