चांद के हुए दीदार, धूमधाम से मनाया जायेगा ईद
चांद के हुए दीदार, धूमधाम से मनाया जायेगा ईद कल
आई एन न्यूज डेस्क: मंगलवार की शाम ईद के चांद के दीदार के बाद अब बुधवार को ईद का त्योहार मनाया जाएगा। पटना के फुलवारीशरीफ स्थित खानकाह मुजीबिया के प्रशासक सैयद शाह मिनहाजउद्दीन कादरी ने चांद देखने की पुष्टि करते हुए पांच जून को ईद का पर्व मनाने की घोषणा की।
बुधवार की सुबह राजधानी पटना सहित पूरे देश में ईद की नमाज पढ़ी जाएगी। आखिरकार वो रात आ ही गई जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार था। यह है ईद का चांद नजर आने की चांद रात। मंगलवार को 29वां रोजा मुक्कल करने के बाद सबकी निगाहें आसमान पर थीं। चांद नजर आया तो बुधवार पांच जून को ईद मनाना तय हो गया।
देर रात तक होती रही ईद की खरीदारी ——
इसके पहले लोगों के कदम बाजार के ओर चल पड़े थे। ईद की तैयारियों के लिए खरीदारी को देर रात तक बाजार खुले रहे। गोरखपर की बात करें तो शाम से ही बाजारों में भीड़ बढऩे लगी थी। रात जैसे जैसे गहराती गई, बाजारों में भीड़ बढ़ती गई। हर किसी को अपनी पसंद और जरूरत की चीजों की तलाश थी। खासकर सजावट व खान-पान की चीजों तथा इत्र व वस्त्रों आदि की खदीदारी के लिए भारी भीड़ उमड़ती दिखी।
चांद देखने के बाद ही ईद क्यों, जानिए——
हिन्दू और मुस्लिम त्योहारों में चांद का बड़ा महत्व है। बिना चांद को देखे कोई व्रत या त्योहार नहीं मनाया जाता या उसे अधूरा माना जाता है। ईद-उल-फितर हिजरी कैलेंडर के 10वें माह के पहले दिन मनाई जाती है। हिजरी कैलेंडर में नया माह चांद देखकर ही शुरू होता है। जब तक चांद नहीं दिखे, तब तक रमजान का महीना खत्म नहीं माना जाता है। रमजान का महीना खत्म होने के बाद ही नए माह के पहले दिन ईद मनाई जाती है। माना जाता है कि इसी दिन हजरत मुहम्मद मक्का से मदीना के लिए निकले थे।
ईद के दिन इन बातों का रखें ध्यान——
ईद के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी माना जाता है।
– ईद के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और फजिर की नमाज अदा करनी चाहिए।
– इसके बाद दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर रिवाज के हिसाब से नए कपड़े पहनने चाहिए, इत्र लगाना चाहिए।
– ईद की नमाज अदा करने से पहले फितरा अदा करना जरूरी होता है। बिना फितरा अदा किए नमाज मुकम्मल नहीं मानी जाती है।
– ईद की नमाज ईदगाह में अदा करनी चाहिए। ईदगाह न होने पर मस्जिद में या फिर खुले आसमान तले ही नमाज अदा करनी चाहिए।
– ईदगाह आने और जाने के लिए अलग-अलग रास्तों का इस्तेमाल करना चाहिए।
– छोटे बच्चों को ईदी के तौर उपहार देने चाहिए।
– गरीबों को दान देना चाहिए, भोजन भी खिलाना चाहिए।