16 वर्ष बीत गए लेकिन नहीं बना पाए आनर किलिग प्रकोष्ठ
16 वर्ष बीत गए लेकिन नहीं बना पाए आनर किलिग प्रकोष्ठ
आई एन न्यूज गोरखपुर डेस्क:
आनर किलिग प्रकोष्ठ को लेकर
शासन की ओर से जारी निर्देशों का अनुपालन अभी तक तमाम जिलों में नहीं किया जा रहा है।
इस मामले को उच्च न्यायालय प्रयागराज ने गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने बीते 25 जुलाई को सुमन अहरिवार व अन्य की याचिका की सुनवाई करने के बाद प्रदेश सरकार से आनर किलिग मामलों को रोकने के संबंध में जवाब मांगा है। मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय उत्तर प्रदेश सरकार ने सूबे के सभी जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर आनर किलिग प्रकोष्ठ गठित करने के लिए निर्देशित किया है।
सात अगस्त 2003 को इस संबंध में सबसे पहले निर्देश जारी किया गया था। इसके बाद भी समय-समय पर निर्देश जारी होते रहे, इसके बावजूद अधिकांश जिलों में अभी तक प्रकोष्ठ नहीं गठित किया जा सका है।
सिद्धार्थनगर में भी इस प्रकोष्ठ का गठन नहीं किया जा सका है। जबकि उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है कि यह संज्ञान में आया है कि सूबे के पुलिस थानों में प्रतिदिन करीब 50 ऐसे मामले आते हैं, जिसमें प्रेमी युगल पुलिस से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाते हैं। बावजूद उनकी सुरक्षा का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया जाता है। हाईकोर्ट ने निर्देश जारी किया है कि ऐसे बालिग युगल, जिन्होंने स्वेच्छा से अंतरजातीय विवाह किया हो, उन्हें उत्पीड़ित न किया जाए। उनकी सुरक्षा के इंतजाम किए जाएं। अगर इनको धमकी दी जाती है और आनर किलिग का भय है तो संबंधित जनपद की पुलिस तत्काल आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। आनर किलिग के मामलों में तत्काल मुकदमा दर्ज करके कानून के अनुसार निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी। समयसीमा के भीतर विवेचना पूरी की जानी है। अगर आवश्यकता पड़ती है तो जांच में वैज्ञानिक पद्धति का भी उपयोग कर सकते हैं।