चन्द्रयात्रा की आंशिक विफलता में छिपी सफलता

चन्द्रयात्रा की आंशिक विफलता में छिपी सफलता

चन्द्रयान-2 की ऐतिहासिक चन्द्रयात्रा की आंशिक विफलता में छिपी सफलता पर विशेष-
✒ सुप्रभात- सम्पादकीय✒
साथियों,
विज्ञान के क्षेत्र में कहा जाता है कि- विज्ञान आओ करके सीखे। विज्ञान में प्रयोग किए जाते हैं जो सफल भी होते हैं और असफल भी होते हैं। जब वैज्ञानिक प्रयोग असफल होता है तो उसमें सुधार करने के लिए उन खामियों को देखा जाता है जिनके चलते प्रयोग असफल होता है और उसमें सुधार करके पुनः प्रयोग किया जाता है। आज हमारे वैज्ञानिक प्रयोग ही है जिसके चलते आज दुनिया हमारी मुट्ठी में है और हम हर क्षेत्र में प्रगति करते हुये आसमानी दुनिया में पहुंच गए हैं। विज्ञान के प्रयोग के चलते ही आज सेटेलाइट और तरह-तरह के उपग्रह हमारी उन्नत में सहायक बने हुए हैं अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में अब तक नासा की प्रयोगशाला दुनिया में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती थी। ऐसा नहीं है कि हमारे देश में वैज्ञानिक अनुसंधान अभी जल्दी ही शुरू हुआ है हमारे वैज्ञानिक प्रयोग भी आजादी के समय से ही हो रहे हैं। यह सही है कि पहले हमारे पास वैज्ञानिक प्रयोग करने के संसाधनों की कमी थी और हमें वैकल्पिक संसाधनों का इस्तेमाल करना पड़ता था। हमारे विज्ञान में हमारे देश को हर क्षेत्र में विकास के उच्च शिखर तक पहुंचाया है और आगे भी उसे उच्च शिखर तक पहुंचाने के लिए लगातार प्रयत्नशील है। वैज्ञानिक प्रयोग के ही बल पर हमें विभिन्न ग्रहों की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिली है और हमारे यान उन ग्रहों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। वैज्ञानिक प्रयोग के बल पर लोग चंद्रमा तक पहुंच चुके हैं और तमाम हमारे वैज्ञानिक इस प्रयोग में असफल होकर अपनी जान भी दे चुके हैं। सभी जानते हैं कि हमारे वैज्ञानिक पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी भाग में जाकर वहां की वस्तु स्थिति की जानकारी लेने के लिए पिछले एक दशक से ज्यादा समय से वैज्ञानिक प्रयोग कर चन्द्रयान-2 मिशन में लगे थे। वैज्ञानिकों के प्रयास के चलते ही दुनिया में पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी भाग में जाने के लिए हम चंद्रयान भेजने की स्थिति में पहुंच सकें हैं। हमारे वैज्ञानिकों का चन्द्रमा के दक्षिणी भाग में पहुंचने का प्रयोग 99 प्रतिशत सफल रहा है और अगर बाकी बचा एक फ़ीसदी भी सफल हो जाता तो हम दुनिया में एक नया इतिहास लिख देते। चार दिन पहले जिस समय हमारा चंद्रयान अभियान अंतिम चरण में पहुंचने वाला था उसी समय हमारा प्रयोग फेल हो गया जो आज दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां पूरी दुनिया हमारे वैज्ञानिक प्रयोग एवं जुड़े वैज्ञानिकों की भूरि भूरि प्रशंसा बधाई एवं शुभकामनाएं दे रही है वही हमारा पड़ोसी दुश्मन देश हमारे प्रयोग पर अपने आप और अपनी औकात को भूल कर छींटाकशी कर रहा है। हमारा चंद्रयान-2 अभियान के विक्रम लेंडर को चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में लैंड कराने में मिली असफलता से भले ही हमारे वैज्ञानिकों के साथ हमारे देशवासी क्षणिक मायूस हो गए हो किंतु यह कोई पहला वैज्ञानिक प्रयोग नहीं है जो सफल नहीं हो सका है। इसके पहले करीब 30 उपग्रह ऐसे हैं जो अपनी मंजिल तक पहुंचने में सफल नहीं हुए हैं। अभी हाल में ही इसराइल का एक अंतरिक्ष विमान इसी तरह लैंड होने के अंतिम दौर में क्रैश होकर असफल हो चुका है।1967 में नासा का लेंडर चन्द्रमा पर उतरने से पहले कई पर असफल हो चुका है।अपोलो मिशन ग्यारह बार विफल हो चुका है तब जाकर मानव को चन्द्रमा पर उतारने में कामियाब हो सका है। हमारा विक्रम लेंडर असफलता के बावजूद उपग्रह परीक्षण के क्षेत्र में इसरो कार्यकाल दुनिया के अन्य अंतरिक्ष अंतरिक्ष एजेंसियों की तुलना में काफी सफल एवं शानदार रहा है जिसे दुनिया भी मान रही है। हमारे वैज्ञानिकों का प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा क्योंकि हमारा विक्रम लेंडर चंद्रमा तक पहुंच गया था और मात्र 2 किलोमीटर की मंजिल शेष बाकी बची थी कि हमारा सम्पर्क उससे टूट गया। इसके बावजूद भी हमारे वैज्ञानिक अभी हताश नहीं हुए हैं और उनका विश्वास है कि जल्दी ही विक्रम लेंडर पुनः अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा इसके लिए दिन रात हमारे वैज्ञानिक जुटे हुए हैं अगर इसमें सफलता नहीं मिलती है तो हमारे वैज्ञानिकों को निराश हताश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि उनका प्रयोग पौने सोलह आने सही रहा है। यही बात हमारे देश के प्रधानमंत्री एवं अन्य राजनेताओं के साथ देशवासी भी कह रहे हैं। हमारे वैज्ञानिक चंद्रयान अभियान को अंतिम दौर तक पहुंचाने के लिए बधाई के पात्र हैं और पूरा देश उनके इस प्रयोग पर उन्हें नमन कर रहा है हमने शुरुआत में ही कहा की विज्ञान का सिद्धांत है कि विज्ञान आओ करके सीखे विज्ञान में प्रयोग होते हैं जो सफल भी होते है और असफल भी हो सकते हैं। कहा भी गया है कि एक बार प्रयोग से मिली असफलता पर निराश नहीं हुआ जाता है बल्कि बार बार प्रयोग किए जाते हैं क्योंकि सिद्धांत है कि जो मंजिल पर निकलता है उसे मंजिल अवश्य मिलती है। हम वैज्ञानिकों के प्रयास का ही प्रतिफल है कि वह लेंडर के चन्द्रमा की सतह पर जीवित रहने का पता लगा चुके हैं और उसके द्वारा भेजे गए फोटो भी मिल गये हैं।वैज्ञानिकों का मामना है कि विक्रम लैंडर से भले ही सम्पर्क टूट गया हो किन्तु वह अबतक सकुशल है और आगे सम्पर्क जुड़ने की उम्मीद है।वैज्ञानिकों का अनुमान है कि विक्रम लैंडर लैडिंग के समय तेज ब्रेक लगने से पलट गया हो।हमारा चन्द्रयान अभियान भले ही अंतिम लक्ष्य तक न पहुंच सका हो लेकिन चन्द्रमा की सतह तक सकुशल पहुंचना हमारे वैज्ञानिकों की ऐतिहासिक कामियाबी का प्रतीक है। यही कारण है कि दुनिया की सर्वश्रेष्ठ मानी जाने वाली अंतरिक्ष शोध संस्था नासा ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को चन्द्रयान-2 मिशन के लिये बधाई देते हुए इस दिशा में मिलकर कार्य करने की बात कही है।धन्यवाद/वंदेमातरम
भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी।
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