मोदी सरकार ने अब किया राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का ऐलान। जानिए क्या है इसका मकसद

मोदी सरकार ने अब किया राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का ऐलान। जानिए क्या है इसका मकसद

मोदी सरकार ने अब किया राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का ऐलान। जानिए क्या है इसका मकसद।
एनसीआर और सीएए को लेकर हो रही सियासत के बीच अब एनपीआर भी चर्चाओं में आ गया है। देश में नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) पर जमकर सियासत गरमाई हुई है। CAA के कानून की शक्ल लेने के बाद देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुआ है। इस बीच मोदी सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register) को लेकर भी बड़ा फैसला ले सकती है। नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) के तहत देश के हर नागरिक को अपना नाम इस रजिस्टर में दर्ज कराना अनिवार्य होगा। NPR को लेकर सरकार ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है, लेकिन पहले ही पश्चिम बंगाल और केरल की सरकार ने इसे लेकर विरोध जताया है। हालांकि NPR का CAA और NRC से कोई संबंध नहीं है।
जानें क्या है NPR——
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) में देश के हर नागरिक को अपना नाम दर्ज कराना अनिवार्य होगा। इसमें लेखा जोखा होगा कि कोई भी नागरिक किस इलाके में रह रहा है। किसी एक जगह पर छह महीने से रहने वाले शख्स को इस रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराना अनिवार्य होगा।
मनमोहन सरकार ने की थी शुरुआत—
यूपीए सरकार ने साल 2010 में NPR बनाने की पहल शुरू की थी। इसके बाद साल 2011 में हुई जनगणना के पहले इस पर काम शुरू किया गया था। बता दें कि साल 2021 में फिर देश की जनगणना होनी है, ऐसे में NPR पर एक बार फिर काम शुरू हो सकता है।
NPR और NRC में यह है बड़ा अंतर—–
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर और एनआरसी में बहुत बड़ा अंतर है। एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध तौर पर रहने वाले लोगों की पहचान करना है, वहीं एनपीआर में छह महीने या उससे ज्यादा वक्त तक किसी एक जगह पर रहने वाले व्यक्ति को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।
कोई व्यक्ति अगर बाहरी है और वह देश के किसी हिस्से में 6 महीने से ज्यादा वक्त से रह रहा है तो उसे भी NPR में नाम दर्ज कराना अनिवार्य है। NPR का मुख्य मकसद बायोमैट्रिक डेटा तैयार कर असली लाभार्थियों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है। (एजेन्सी)

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