बलिदान और माताओं का योगदान शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता–स्वामी अखिलेश्वरानंद

बलिदान और माताओं का योगदान शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता--स्वामी अखिलेश्वरानंद

बलिदान और माताओं का योगदान शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता–स्वामी अखिलेश्वरानंद
आई एन न्यूज फरेंदा डेस्क: बलिदान और माताओं का योगदान शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता। माताओं के चरणों में हमेशा नतमस्तक होना चहिए। मातृशक्ति से बड़ा कोई शक्ति नहीं है।
उक्त बातें आज रविवार को
फरेंदा में स्थित आधारशिला बृद्धा आश्रम में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आश्रम की महिलाओं व स्टापो को संबोधित करते हुए सोनौली सन्यास आश्रम के महंत स्वामी अखिलेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने बतौर मुख्यातिथि ने संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है। लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किया जाए, इस पर विचार करना आवश्यक है। बीते कुछ वर्षों में महिलाओं ने सेना, प्रशासन, राजनीति जैसे हर क्षेत्र में अपना परचम लहराते हुए महिला सशक्तिकरण के संदेश को साकार किया है, ऐसे में लोगों के हर तबके को बेहतर समाज निर्माण में महिलाओं की भूमिका समझनी चाहिए।
इसी क्रम में स्वामी जी ने आश्रम के समस्त स्टॉप को अंग वस्त्र देकर उन्हे सम्मानित किया । जब कि बृद्धा आश्रम के प्रबधक प्रदीप कटियार ने गर्म जोशी के साथ भब्य स्वागत किया ।
कार्यक्रम की शुरुआत महंथ जी ने संस्कृत के एक श्लोक  यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।
इस मौके पर प्रदीप कटियार आश्रम प्रबन्धक,अरुण कुमार श्रीवास्तव उप प्रबंधक, शैलेश यादव , अजय मणि त्रिपाठी, सीमा विन्दी प्रभावती जसमाती सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
महाराजगंज उत्तर प्रदेश

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