आषाढ़ गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व– स्वामी अखिलेश्वरानन्द सरस्वती महाराज
आषाढ़ गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व– स्वामी अखिलेश्वरानन्द सरस्वती महाराज
आई एन न्यूज सोनौली डेस्क:
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के बारे में जानकारी ना होने और इसके पीछे छिपे रहस्यमयी कारणों की वजह से ही इन्हें गुप्त आषाढ़ नवरात्र कहा जाता है।
उक्त बाते भारत नेपाल के सोनौली बार्डर पर स्थित सोनौली संयास आश्रम के महंत स्वामी अखिलेश्वर आनंद सरस्वती महाराज ने मंगलवार की दोपहर को संयास आश्रम में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहीं।
श्री महाराज ने कहा कि मानव जीवन में अवसर का बड़ा ही महत्व होता है और उसके साथ ही जगह का भी बड़ा महत्व होता है। जैसे स्वाति नक्षत्र में एक भी बूंद यदि सीप में पड़ जाए तो मोती बन जाती है, केले में गिर जाए तो कपूर बन जाती है, वैसे तो बूंदी में प्राया ही गिरती रहती है। किंतु उन बूंदों का भाग्य कहा कि वह मोती, अथवा कपूर बन सके। यह अवसर का खेल है ।
वर्ष में चार ऐसे अवसर आते हैं जब हम अपने मन: स्थिति को नियंत्रित करके अखिल ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री माँ भगवती दुर्गा की आराधना उपासना इत्यादि करते हैं और स्वयं के तथा जगत के कल्याण के हेतु करुणामई माता से आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन को सफल करते हैं। यह चार अवसर है नवरात्रों के जो कि क्रमशः चैत्र, अषाढ कुवार और माघ मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से आरंभ होकर नवम तिथि तक चलते हैं ।
इनमें जो भी मंत्र तंत्र से संबंधित प्रयोग की जाती है वह अवश्य ही फलीभूत होती है।
गुप्त नवरात्र इस बार 22 जून मंगलवार से शुरू हुआ हैं। नवरात्रों में मां दुर्गतिनाशिनी दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है।
इसलिए श्री दुर्गा सप्तशती के एकादश अध्याय में देवताओं ने मां की स्तुति करते हुए चराचर जगत की स्त्रियों में मां के ही बिंब को परलक्षित किया है।
स्त्रियां: समस्ता: सकला जगत्सु”