असली– नकली राम
असली– नकली राम
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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली तरह-तरह की दावे का रेकार्ड बनाने के मूड में जान पड़ते हैं। उनका ताजा दावा सोमवार को आया, जिसके मुताबिक रामायण के राम भारतीय नहीं बल्कि नेपाली थे। यह भी की राम की नगरी अयोध्या वास्तव में नेपाल के बीरगंज शहर के पश्चिम में स्थित एक गांव है ।
दुनियाभर में फैले करोड़ों हिंदुओं के सदियों से चले आ रहे विश्वास के विपरीत जाने वाले इस दावे को बहुत से लोग हास्यास्पद मानेंगे, लेकिन एक तरह से देखा जाए तो यह इतना अजीब भी नहीं है। जिन विभूतियों पर पूरी मनुष्यता को गर्व हो, उन्हें कौन नहीं अपनाना चाहेगा? उनकी जन्मस्थली आदि को लेकर परस्पर विरोधी मान्यताएं बन जाना स्वाभाविक है। यहां तो बात मर्यादा पुरुषोत्तम राम की है, जिन्हें ईश्वरीय अवतार माना गया है।
दुनिया में 300 से अधिक रामायण मौजूद हैं, जिनमें राम के जन्म और जीवन को लेकर कहीं गए कथाओं में काफी भिन्नता है। अगर नेपाल में भी श्री राम के जन्म और जीवन की कोई अलग कथा प्रचलित हो और किसी खास गांव को स्थानीय स्तर पर अयोध्या मनाने का चलन हो तो इसमें ना कोई बहुत आश्चर्य की बात है, न ही इस पर आपत्ति करने की किसी को कोई जरूरत है। कोई एकेडमिक विद्वान या साहित्यविद पर्याप्त उठाकर इसे बहस का मुद्दा भी बना सकता है समस्या तब पैदा होती है जब हम ऐसे किसी स्थानीय विश्वास का कूटनीतिक इस्तेमाल होते देखते हैं। कोई तस्टथ बुद्धिजीवी नहीं, नेपाल के निर्वाचित प्रधानमंत्री बकायदा बयान जारी करते हैं कि असली अयोध्या उनके देश में हैं। और भारत ने नकली अयोध्या खड़ी करके नेपाल का सांस्कृतिक अतिक्रमण किया है! और इस बयान का समय भी ऐसा, जब भारत और नेपाल के राजनयिक संबंध लगभग समूचे इतिहास के निम्नतम बिंदु पर पहुंचे हुए हैं। इससे अंदेशा यही बनता है कि दोनों देशों के रिश्तों को अधिक बिगाड़ने में ही नेपाल का मौजूदा सत्ता शीर्ष अपना फायदा मान रहा है।
हाल में उत्तराखंड की टीम सीमावर्ती जगहों लिपुलेख अधूरा और काला पानी को अपना हिस्सा बताते हुए देश का एक संदेश संशोधित नक्शा नेपाली संसद में पारित करा लिया गया। यह तीनों इलाके नेपाल के अलावा भारत चीन की सीमा के भी करीब है और स्मारिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं। 1962 के युद्ध के बाद से ही भारतीय सेना की चौकिया इन इलाकों में बनी हुई हैं। जाहिर है, ओली सरकार के इस कदम ने दोनों देशों के रिश्तो को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में इन रिश्तो को सुधारने की दिशा में विश्वास बहाली के कदम उठाने के बजाय भारत की अयोध्या और राम को नकली बताना और चाहे जो हो अच्छा राजनय बिल्कुल नहीं है।
जय हिंद जय भारत।