संपादक की कलम से—
संपादक की कलम से—
..और मजबूर हैं अपनी आदतों से बाबर की सेना द्वारा तोड़े जाने के 492 वर्ष बाद अयोध्या में राम मंदिर के पूनर्निर्माण की घड़ी करीब आने से देशभर में हर्ष और खुशी का माहौल है यद्यपि इस अवसर पर भी कुछ हताश निराश व्यक्ति और संगठन निराशाजनक बातें कर रहे हैं। बेशक उनके अर्थहीन बातों का कोई संज्ञान नहीं ले रहा, पर ऐसे व्यक्तियों और संगठनों को चिन्हित करके उनकी मंशा पर नजर रखना जरूरी है ।
ऐसे कुछ लोग राम मंदिर के लिए 5 अगस्त को प्रस्तावित भूमि पूजन के मुहूर्त पर विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं तो किसी को प्रधानमंत्री द्वारा भूमि पूजन अनुचित लग रहा है। इनमें अधिकतर वही लोग हैं जिन्होंने गत वर्ष नवंबर में राम जन्मभूमि विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद भी ऐसी ही हरकतें करके नया विवाद शुरू करने की कोशिश की थी, पर मुस्लिम समुदाय यहां तक की राम जन्म भूमि विवाद में बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे मोहम्मद इकबाल अंसारी का भी समर्थन न मिलने पर निराश होना पड़ा था।
कुछ महीने चुप रहने के बाद वही लोग अब राम मंदिर निर्माण शुरू होने के मौके पर माहौल खराब करने का प्रयास कर रहे हैं । इनमें कुछ लोग बकायदा राजनीत से ताल्लुक रखते हैं। इन लोगों को यह समझना चाहिए कि देश में अधिकतर लोग राम जन्म भूमि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और जन्मभूमि मंदिर निर्माण के पक्ष में है। ऐसे में इन तत्वों द्वारा तरह-तरह के राम मंदिर निर्माण की राह में बाधा खड़ी करने की मंशा अर्थहीन है। अब लोग राजनीतिक दृष्टि से और समझदार हो चुके हैं। यदि कुछ लोग वोट बैंक राजनीत में राम मंदिर निर्माण शुरू होने के मौके पर कड़वाहट पैदा करने की साजिश कर रहे हैं तो सरकार के साथ समाज की भी जिम्मेदारी है कि इन तत्वों और उनके मंसूबों को ठीक से पहचान लें। मंदिर निर्माण तो अब किसी के भी रोकने से नहीं रुकेगा, पर पाकिस्तान में छिपे दाऊद इब्राहिम के सुर में सुर मिला रहे घरेलू तत्वों को जन आक्रोश से डरना चाहिए।