अयोध्या: यादों के झरोखे से- साध्वी ऋतंभरा को गोरखपुर गोपनीय तरीके से करना पड़ा था सभा

अयोध्या: यादों के झरोखे से- साध्वी ऋतंभरा को गोरखपुर गोपनीय तरीके से करना पड़ा था सभा

अयोध्या: यादों के झरोखे से- साध्वी ऋतंभरा को गोरखपुर गोपनीय तरीके से करना पड़ा था सभा

इंडो नेपाल न्यूज़ का अयोध्या मुद्दे पर विशेष कवरेज।

गोरखपुर: अयोध्या में भगवान श्री रामचंद्र के भव्य मंदिर निर्माण के भूमि पूजन की अंतिम चरण की तैयारियां जोरों पर है । इस मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करने में गोरखपुर के भी बहुत से लोगों का इतिहास रहा है।

अयोध्या: यादों के झरोखे से- साध्वी ऋतंभरा को गोरखपुर गोपनीय तरीके से करना पड़ा था सभा
चित्र परिचय– श्री पुष्पदंत जैन

इन्हीं में से एक पुष्पदंत जैन भी हैं जो अपनी स्मृतियों को याद करते हुए बताते हैं कि उस समय विश्व हिंदू परिषद महानगर समिति में प्रमुख रूप से बतौर कार्यकारी अध्यक्ष मैं हुआ करता था और डॉ चक्रपाणि शुक्ला अध्यक्ष और ओमप्रकाश श्रीवास्तव उपाध्यक्ष, आनंद गुप्ता मंत्री एवं राम सूरत मल कोषाध्यक्ष हुआ करते थे।

अयोध्या: यादों के झरोखे से- साध्वी ऋतंभरा को गोरखपुर गोपनीय तरीके से करना पड़ा था सभाश्री राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रणेता परम पूज्य महंत अवैद्यनाथ जी महाराज जी एवं केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के दिशा निर्देश के अनुसार विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन होता था। इसी दौरान साध्वी ऋतंभरा जी की सभा गोरखपुर और बस्ती में होनी थी, परंतु प्रशासन ने बैन लगा रखा था। फिर भी उनको गोरखपुर में गोपनीय तरीके से लाकर विशाल सभा कराया गया। फिर बस्ती के लिए प्रस्थान किया गया। लेकिन खलीलाबाद में प्रशासन ने हम लोगों को जबरदस्ती रोक लिया हम लोगों ने वहां पर जबरदस्त प्रदर्शन किया तब जाकर बस्ती के लिए जा पाए थे।
बस्ती में उस समय कर्फ्यू के जैसा माहौल था गाड़ी में से आनंद गुप्ता ने चिल्लाकर सबको एपी डिग्री कॉलेज में पहुंचने के लिए आवाहन किया मात्र 10 मिनट के अंदर हजारों लोगों की भीड़ वहां पर एकत्रित हो गई और वहां पर भी यह सभा सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
इसी में से एक और स्मृति को याद करते हुए श्री जैन ने बताया की गोरखपुर शहर के क्रॉस माल तिराहे पर स्थित महाराजा अग्रसेन की मूर्ति की स्थापना अशोक सिंघल जी के द्वारा होनी थी, लेकिन प्रशासन ने इस पर भी बैन लगा रखा था। उस दौरान पूज्य अवैध नाथ जी महाराज ने स्पष्ट कहा कि आप लोग मूर्ति की स्थापना करवाएं जो होगा उसे हम लोग देख लेंगे और उसके बाद अशोक सिंघल जी के द्वारा वहां पर मूर्ति की स्थापना की गई इस दौरान मैं नगर निगम में कारपोरेटर हुआ करता था ऐसी बहुत सी स्मृतियां राम मंदिर के संघर्ष को लेकर के उनके दिल में हमेशा बनी हुई है, और राम मंदिर के निर्माण की खुशी वह व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं । जिस राम मंदिर के लिए वह एक लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे। उसका भूमि पूजन  के साथ नव भारत का निर्माण हो रहा है,तो कहीं ना कहीं इस बात की खुशी उनके मन में है।  श्री जैन उस का खुलकर इजहार कर रहेे हैं। (आशीष भट्ट गोरखपुर)
(गतांक से)

उत्तरप्रदेश

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