संपादकीय—लहर ठंड की

संपादकीय---लहर ठंड की

संपादकीय —–लहर ठंड की
उत्तर भारत के इलाकों में अचानक मौसम ने करवट ली और पारा नीचे लुढ़क आया। पहाड़ों में बर्फ गिरने के बाद वहां से आ रहे ठंडी हवा पूरे मैदानी इलाके में लोगों को ठिठुरा रही है। मौसम विज्ञान विभाग अपनी शब्दावली में इसे ठंड और भीषण ठंड की स्थिति कह रहा है। मैदानों में ऐसी स्थित का निर्धारण दो आधार पर होता है। एक न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस के नीचे हो और दो अधिकतम तापमान में सामान्य से क्रमश 4.5 डिग्री सेल्सियस और 6.4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की जाए।
ध्यान रहे तापमान में इस तरह की अचानक आने वाली कमी स्वास्थ्य के लिहाज से घातक मानी जाती है। इसकी वजह यह है कि शरीर इस बदलाव के लिए तैयार नहीं रहता। इस कारण उसकी प्रतिरोध शक्ति इतनी कमजोर पड़ जाती है उसके न सिर्फ ठंड पकड़ने बल्कि तरह वायरसो की चपेट में आने का खतरा भी बढ़ जाता है। जाहिर है, यह बात कोरोना वायरस पर भी लागू होती है।
समझा जा सकता है कि इन हालात में राजधानी दिल्ली के आसपास किर्षी कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे लाखों किसानों का दिन रात सड़क पर ही रहना उनके लिए कितना जोखिम भरा है। धक्का मुक्की के छिटपुट मामलों को छोड़ दे तो 22 दिन से चल रहे इस आंदोलन में अब तक कोई हिंसा नहीं हुई है । जबकि इसके 22 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। किसानों की जान रात दिन प्रतिकूल स्थितियों में खुले बैठे रहने से गई है। अब मौसम ने भी अपना कठोर चेहरा दिखाने का फैसला किया है तो उनको लेकर चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। लेकिन यह चिंता समाज के अलावा सरकार के रूख में भी दिखने चाहिए। यह सही है कि किसान अपनी मांगों पर जरा भी झुकने के लिए तैयार नहीं है। सरकार ने कुछ लचीलापन जरूर दिखाया है, लेकिन बातचीत किसी सिरे चढे, इसके लिए वह काफी नहीं है। दोनों पक्षों के पास अपने स्टैंड को लेकर अलग-अलग तर्क हैं, इसलिए कोई हल निकलने के लिए किसी एक पक्ष को दोषी ठहराना ठीक नहीं है।
फिलहाल सवाल सिर्फ एक ही है कि हल निकालने तक दोनों पक्ष एक दूसरे के प्रति कैसा रुख अपनाते हैं। बेहतर होगा कि सरकार अभी के समय में आंदोलनकारी किसानों को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दें। वे भारत के सम्मानित नागरिक हैं और सरकार के से कुछ उम्मीद लगाकर अपने घर से दूर इतना कष्ट झेल रहे हैं। इस जानलेवा ठंड में बतौर अभिभावक केंद्र सरकार को उनकी सुरक्षा के उपाय करने चाहिए।
indonepalnews.in

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