बचपन कच्चे घड़े के समान, भक्ति की कोई उम्र नहीं– अनूप ठाकुर जी महाराज

बचपन कच्चे घड़े के समान, भक्ति की कोई उम्र नहीं-- अनूप ठाकुर जी महाराज

बचपन कच्चे घड़े के समान, भक्ति की कोई उम्र नहीं– अनूप ठाकुर जी महाराज
आई एन न्यूज हरदोई डेस्क:
हरदोई जिला के शाहाबाद तहसील के ग्राम मझिला में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में श्री मद्भागवत कथा कथावाचक अनूप ठाकुर जी महाराज ने ध्रुव चरित्र का प्रसंग सुनाया।
कथा व्यास ने बताया कि सतयुग के दौरान अवधपुरी में राजा उत्तानपद राज किया करते थे। उनकी बड़ी रानी का नाम सुनीति था और उनके कोई संतान नहीं थी। देवर्षि नारद रानी को बताते हैं कि यदि तुम दूसरी शादी करवाओगी तो संतान प्राप्त होगी। रानी अपनी छोटी बहन सुरुचि की शादी राजा से करवा देती है। कुछ समय बाद सुरुचि को एक संतान की उत्पत्ति होती है। जिसका नाम उत्तम रखा। उसके कुछ दिनों के बाद बड़ी रानी भी एक बालक ध्रुव को जन्म देती है। 5 वर्ष बाद जब राजा उत्तम का जन्म दिन मना रहे थे तो बालक ध्रुव भी बच्चों के साथ खेलता हुआ उनकी गोद में बैठ गया, जिस पर सुरुचि उठा देती है और उसे कहती है कि यदि अपने पिता की गोद में बैठना है तो अगले जन्म तक इंतजार कर।
बालक ध्रुव को यह बात चुभ जाती है और वह वन में जाकर कठिन तपस्या करने लगते हैं। भक्ति की कोई उम्र नहीं होती है बचपन कच्चे घड़े के समान होता है उसे चाहें जैसा ढाल दो उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उन्हें दर्शन देते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान देने का वचन देते हैं। इस प्रसंग से यह शिक्षा मिलती है कि किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिए और प्रभु की भक्ति में कोई विघ्न नहीं डालना चाहिए। कथा के बीच महाराज जी द्वारा सुनाए गए भजनों पर श्रद्धालु झूम उठें।
इस मौके पर कथा के यजमान राजीव सिंह, हरिओम सिंह, मुन्नू बाबू सिंह अध्यापक, तकदीर गुप्ता, विपिन गुप्ता, परिक्षित, हरिमोहन सिंह अध्यापक समेत भक्त मौजूद रहें।
उ०प्र०।

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