15 गांव की महिलाओं को कम लागत पर अधिक आय की तरकीब बता रहीं रीता

15 गांव की महिलाओं को कम लागत पर अधिक आय की तरकीब बता रहीं रीता

15 गांव की महिलाओं को कम लागत पर अधिक आय की तरकीब बता रहीं रीता

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष———

खेती के जरिये महिलाओं को स्वावलंबन की राह दिखा रहीं रीता – ग्रामीण परिवेश में ससुराल में रह कर हासिल की स्नातक की डिग्री ।

आई एन न्यूज महराजगंज डेस्क:
एक तरफ जहां किसानों की आय दो गुनी करने की सरकार की सकारात्मक पहल जारी है। वहीं सरकार की इस पहल को पंख लगा रही हैं विभिन्न संस्थानों से प्रशिक्षण प्राप्त रीता शर्मा, जो गांव- गांव जाकर महिलाओं को खेती के जरिये स्वावलंबन की राह दिखा रही है। इसके लिए नकदी खेती पर जोर देकर उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने में जुटी है। कम लागत से अधिक आय के लिए मचान विधि, प्लास्टिक बेड, स्केटिंग विधि से सब्जी की खेती करने की वह तरकीब भी बता रहीं है।
रीता शर्मा इन दिनों सदर ब्लॉक के अमरुतिया, करमहा, कृत पिपरा, गिदहा, खेमपिपरा,नेता सुरहुरवा,महदेवा,सिंहपुर,खुटहा,मुड़िला, कांध, पिपरा रसूलपुर अहमदपुर,जंगल फरजंद अली तथा सरडीहा गांव की महिलाओं को संगठित कर कम लागत में अधिक उत्पादन की खेती के गुर सिखा रही हैं।
वह बताती हैं कि मचान विधि से खेती करने से एक साथ दो-दो फसल मिल जाती है। मसलन मचान के नीचे प्याज और ऊपर लौकी, मचान के नीचे सूरन ( ओल) तथा ऊपर करेला की खेती से दोहरा लाभ मिलता है। वह महिलाओं को यही तरकीब बताती है तथा तकनीकी जानकारी भी देती हैं।
वहीं प्लास्टिक बेड विधि से खेती करने से भी कम लागत से अधिक लाभ दिलाती हैं। मिट्टी का बेड बनाकर उस पर पारदर्शी प्लास्टिक रखकर खेती करने की विधि बताती हैं, इस विधि से प्लास्टिक पर छह-छह इंच की दूरी पर होल करके प्याज के पौधों को रोपण कराया जाता है। इस विधि से प्याज की खेती बेहद आसान है।
वह कहती हैं कि ऐसा करने से एक तो सिंचाई के लिए कम पानी की आवश्यक होती है। निराई-गुणाई की जरूरत नहीं होती है। खेत में नमी बनी रहती है। प्याज का आकार बड़ा होता है और कटाई भी आसान होती है।
वहीं स्केटिंग विधि से सब्जी की खेती करने से भी अधिक उत्पादन मिलता है। स्केटिंग विधि वह विधि है जिसमें रस्सी व डंडे के सहारे टमाटर ( छोटी लता वाले) आदि के पौधों को बांध दिया जाता है। इससे फल का आकार बड़ा होता है। कीड़े कम लगते हैं। फलों पर दाग धब्बे नही पड़ते हैं।
जंगल फरजंद अली गांव की महिला किसान सुशीला देवी ने बताया कि जब से रीता शर्मा ने नकदी फसल की राह दिखा कर सब्जी की खेती करने की सलाह व तकनीकी जानकारी देनी शुरू की तबसे सब्जी की खेती करके अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही है। वह मशरूम, प्याज, लौकी, करेला आदि की खेती से अच्छी आय अर्जित कर रही है।
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बच्चों की जिम्मेदारी मिली तो की नयी पारी की शुरुआत

निचलौल ब्लाक के ग्राम पंचायत भारतखंड पकड़ी निवासीनी रीता शर्मा ने बताया कि उनका बाल विवाह हो गया था। करीब 20 साल तक गृहणी रही, मगर जब बच्चों की जिम्मेदारी सिर पर आयी तो उन्होंने अपने करियर की शुरुआत सामाजिक क्षेत्र से की। इसके लिए प्रेरणा उनकी माँ शकुन्तला शर्मा से मिली।
बकौल रीता जब वह 13 साल की थीं तो उनके पुलिस कर्मी पिता की मौत हो गयी। भरण पोषण का जिम्मा माँ के सिर पर आ गया। हाई स्कूल की परीक्षा देने के बाद वह ससुराल चली गयीं। करीब 20 साल तक गृहणी बनकर जिन्दगी का गुजर बसर किया। ससुराल में रह कर ही स्नातक की डिग्री हासिल की। अब अपने जिन्दगी की नयी पारी में महिलाओं को खेती किसानी का गुर सिखा रही है।
इसके लिए रीता पहले सृष्टि सेवा संस्थान महराजगंज से जुड़ी। संस्थान के माध्यम से पानी संस्थान फैजाबाद, चाइल्ड फंड इंडिया से प्रशिक्षण लिया। जो अब महिलाओं को तकनीकी जानकारी दे रही हैं। बतौर प्रशिक्षक संस्थान से मानदेय भी मिलता है।
रीता की सोच है कि महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान व स्वावलंबन जरूरी है। इसके लिए पहल जारी है। रीता की मंशा है कि महिलाओं को भी किसान का दर्जा मिले तो बात बने।
महाराजगंज उत्तर प्रदेश।

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