एफ़आईआर हारती हुई भाजपा की हताशा का प्रतीक — अखिलेश यादव
एफ़आईआर हारती हुई भाजपा की हताशा का प्रतीक — अखिलेश यादव
आई एन न्यूज लरवनऊ डेस्क:
यू००पी० के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर मुरादाबाद में मारपीट का केस दर्ज किया गया है। जिसमें पत्रकारों पर 11 मार्च को कथित रूप से हमला कराने का जिक्र किया गया है। केस में 20 अज्ञात कार्यकर्ताओं को भी आरोपी बनाया गया है।
FIR दर्ज होने के बाद अखिलेश ने ट्वीट कर कहा कि “उप्र की भाजपा सरकार ने मेरे ख़िलाफ़ जो एफ़आईआर लिखवाई है, जनहित में उसकी प्रति प्रदेश के हर नागरिक के सूचनार्थ यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं। अगर आवश्यकता पड़ी तो राजधानी लखनऊ में होर्डिंग भी लगवा देंगे। ये एफ़आईआर हारती हुई भाजपा की हताशा का प्रतीक है।”
पुलिस में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि 11 मार्च की शाम को मुरादाबाद जिले के पाकबड़ा थाना क्षेत्र में स्थित एक होटल में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्रेस कांफ्रेंस चल रही थी. शिकायतकर्ता का आरोप है कि प्रेस कांफ्रेंस के बाद लॉबी में अखिलेश यादव से कुछ पत्रकारों ने व्यक्तिगत सवाल पूछ दिये जिससे वह छटपटा गये और उन्होंने अपने गार्डों और साथियों को पत्रकारों पर हमला करने के लिए उकसा दिया। शिकायत में कहा गया है कि वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों और 20 से अधिक उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पत्रकारों को बुरी तरह पीटकर घायल कर दिया जिसमें कई पत्रकारों को गंभीर चोटें आई और उनका अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
पाकबड़ा थाने में शुक्रवार को अखिलेश यादव के खिलाफ तहरीर दी गई जिसके बाद शनिवार को पाकबड़ा पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (उपद्रव का दोषी जिसमें दो वर्ष कारावास की सजा का प्रावधान) 342 (किसी को बंधक बनाना जिसमें एक वर्ष कारावास की सजा का प्रावधान) और 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना जिसमें एक वर्ष कारावास की सजा का प्रावधान) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है. रामपुर में शुक्रवार को अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि मुरादाबाद में सुनियोजित षडयंत्र किया गया था और पहले लिफ्ट बंद कर दी गई ताकि हम लोग निकल न सकें।
उल्लेखनीय है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 11 मार्च को मुरादाबाद के दौरे पर गये थे जहां उनकी पत्रकार वार्ता के बाद पत्रकारों से मारपीट का आरोप लगा है। इस मामले में मुरादाबाद के आयुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने पुलिस को जांच के आदेश दिये थे। इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पत्रकारों ने अपना आक्रोश व्यक्त किया है।