संपादकीय —-नए रूप में स्कूली शिक्षा
नए रूप में स्कूली शिक्षा
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बच्चे की शिक्षा में बचपन के वर्ष बहुमूल्य होते हैं, क्योंकि इन वर्षों में उनके जीवन की नीव पड़ती है। इसलिए नीव को मजबूत बनाने की जरूरत तो काफी समय से महसूस की जा रही थी, लेकिन प्राथमिक शिक्षा पर उतना ध्यान नहीं दिया गया जितना दिया जाना चाहिए था। अब वर्तमान केंद्र सरकार ने प्राथमिक शिक्षा पर विशेष ध्यान देने का जो निर्णय किया है, वह बच्चों के मजबूत भविष्य के लिए जरूरी था। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा में( एनईपी ) के अनुरूप स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने और उसके बुनियादी ढांचे को मजबूती देने के लिए कई अहम फैसले किए हैं, जो बच्चों की क्षमता विकास में सहायक होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में लिए गए फैसले के तहत अगले 5 वर्षों में स्कूली शिक्षा पर करीब 3 लाख करोड रुपए खर्च किए जाएंगे, जो केंद्र और राज्य मिलाकर करेंगे । सरकारी स्कूलों में प्ले स्कूलों की तरह बाल वाटिका खुलेगी, जहां छोटे बच्चों को खेलाने पर आधारित शिक्षा दी जाएगी, वहीं सभी स्कूलों को डिजिटल बोर्ड सहित दूसरे आधुनिक संसाधनों से भी लैस किया जाएगा। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। समग्र शिक्षा अभियान में स्कूली शिक्षा को समाहित करते हुए एक संभावित योजना बनाई गई है। जिसमें प्री- स्कूल स्तर से 12वीं कक्षा के संपूर्ण आयामों को सम्मिलित किया जाएगा। समग्र शिक्षा अभियान 2.0 अभियान के तहत कुछ वर्षों में चरणबद्ध तरीके से स्कूलों में बाल वाटिका स्थापित करने के साथ शिक्षण पाठ्य सामग्री तैयार की जाएगी। अब तक 1.94 लाख स्कूलों से इसकी शुरुआत की गई है। बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को जहां प्रशिक्षित किया जाएगा, वहीं प्रशिक्षित शिक्षक की भी नियुक्ति की जाएगी। सरकार ने इस योजना का दायरा बढ़ाते हुए सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय को 12वीं तक करने का जो निर्णय किया है उसे बालिकाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा और वह भी आसानी से इस उच्च शिक्षा से जुड़ सकेंगे। इसके अलावा दूरदराज से आने वाले बच्चों को सालाना ₹6000 का ट्रांसपोर्ट भत्ता दिया जाएगा और इसके दायरे में सेकेंडरी तक के बच्चे होंगे। सरकार के इस निर्णय से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और लोगों का भरोसा सरकारी स्कूलों पर बढ़ेगा और बच्चों की नींव मजबूत हो सके कि देश के सुनहरे भविष्य के लिए यह जरूरी भी है, क्योंकि शिक्षा की बुनियाद ही प्राथमिक शिक्षा है।( इंडो नेपाल न्यूज़)