दो- टूक तालिबान को———-
संपादकीय—दो- टूक तालिबान को—–
अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी से वैश्विक स्तर पर आतंक का खतरा पैदा हो गया है। अफगानिस्तान के बदतर हालात से आतंकियों का हौसला एक बार फिर से बढ़ा है, जो पूरी दुनिया के लिए गंभीर चिंता का विषय है। आतंकी घटनाओं को लेकर विश्व के सभी देशों को सतर्क रहना होगा। अफगानिस्तान में खराब हालात को लेकर भारत का चिंतित होना स्वाभाविक है। संयुक्त राष्ट्र यूएन में भारत के स्थाई राजदूत टी०एस० त्रिमूर्ति ने तालिबान को खरी-खरी सुनाते हुए दो टूक कहा कि वह पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों से दोस्ती तोड़े और वह सुनिश्चित करें कि अफगानिस्तान की जमीन आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होगी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प को दोहराते हुए स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान की सरजमी आतंक का ठिकाना नहीं बनना चाहिए। अफगान में स्थित बेहद नाजुक है, तालिबान सरकार उम्मीदों के अनुरूप नहीं है। मंत्रियों की पृष्ठभूमि अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों की है। नये अफगानिस्तान को अभी समझना बहुत मुश्किल है तालिबान के सरकार चलाने के तरीकों पर लाखों लोगों का जीवन निर्भर करता है तालिबान की सरकार से हर किसी को निराशा ही हाथ लगी है, ऐसे में बेहतर की उम्मीद जल्दबाजी साबित होगी। आतंकवाद अफगानिस्तान के लिए अब भी गंभीर खतरा बना हुआ है। विश्व के सभी देशों को पक्षपात पूर्ण हितों से ऊपर उठकर अफगानिस्तान की जनता के साथ एकजुट खड़ा होना चाहिए। आतंकवाद को अलग अलग तरीके से प्रभावित नहीं किया जा सकता है ।
आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद है इसे किसी भी रूप में सरकार नहीं किया जा सकता है । यह मानवता को शर्मसार करने वाला है । आतंकी संगठन के व्यावहारिक सच्चाई को समझने की जरूरत है। पूरी दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़नी है क्योंकि इससे विश्व की शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है । इससे निबटने के लिए विश्व स्तर पर रणनीति बनाने की जरूरत है, जो सभी देशों के लिए बाध्यकारी हो। आतंकवाद पर नियंत्रण बहुत जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, इसके लिए तत्काल कदम उठाना श्रेयकर होगा।
(इंडो नेपाल न्यूज़)