संपादक की कलम से—-फिर शुरू हुआ श्रमिकों का पलायन

संपादक की कलम से----फिर शुरू हुआ श्रमिकों का पलायन

संपादक की कलम से—-फिर शुरू हुआ श्रमिकों का पलायन

फिर शुरू हुआ श्रमिकों का पलायन कश्मीर में निर्दोष हिंदुओं और सिखों की हत्या से पूरे देश में काफी आक्रोश है । जम्मू कश्मीर में भी लोगों में भय और दहशत का माहौल बना हुआ है। जहां एक और बड़ी संख्या में लोग घाटी छोड़कर जम्मू जा रहे हैं । वहीं प्रवासी श्रमिकों का भी पलायन शुरू हो गया है । पिछले 3 दिनों के अंदर कई हजार लोग कश्मीर से निकलकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए हैं। कश्मीरी पंडितों के परिवार जागृति विस्थापित शिविर में शरण लिए हुए हैं। आतंकी घटनाओं से कश्मीर की स्थिति चिंताजनक हो गई हैं। घाटी में हजारों हिंदू सिख परिवार और अन्य राज्यों के श्रमिक फंसे हुए हैं। जिनमें ज्यादातर किसी तरह से जम्मू पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। पलायन करने वाले श्रमिकों में ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उड़ीसा के लोग है। श्रमिकों के पलायन से कोरोना काल में देश के विभिन्न राज्यों से श्रमिकों के पलायन की समृति ताजा हो गई है। दुकानों को और ईट भट्टों सहित असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती जीवन रक्षा आजीविका के उत्पन्न हो गई है । प्रवासी श्रमिकों का जम्मू कश्मीर अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार सबसे पहले श्रमिकों में सुरक्षा की भावना विकसित करें और इसके लिए उनके अनुकूल माहौल बनाएं साथ ही आतंकी संगठनों उनके नेटवर्क को समूल उखाड़ फेंका जाए। इसके लिए बड़े अभियान की जरूरत है । कश्मीरी पंडितों में काफी भय उत्पन्न हो गया है और 1990 जैसे हालात के खौफ में आ गए हैं।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कश्मीरी पंडितों को फिर से बसाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है जो प्रशंसनीय है। इसके बावजूद उन्हें सुरक्षा की भावना को मजबूत करना भी अत्यंत आवश्यक है। अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में काफी बदलाव आया है। विकास की गति बढ़ी है और इसका लाभ भी जनता को मिल रहा है लेकिन पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का जब तक समूल दमन नहीं होगा तब तक लोगों में सुरक्षा की भावना मजबूत नहीं होगी। इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार को संभावित कदम उठाने के साथ ही प्रवासी श्रमिकों के लिए विशेष कार्य योजना बनाई जानी चाहिए। जिससे कि उनका पलायन रुके।
(इंडो नेपाल न्यूज़)

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