संपादक की कलम से—पटाखों पर प्रतिबंध आवश्यक
संपादक की कलम से
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पटाखों पर प्रतिबंध आवश्यक
पूरे विश्व में वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है जो मानव जीवन के लिए गंभीर खतरा बन गया है। फिर भी प्रदूषण की रोकथाम के लिए अपेक्षित प्रभावी कदम नहीं उठाया जाना गंभीर चिंता का विषय है। भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति काफी बदतर है। देश के कई बड़े शहर गंभीर स्थिति में पहुंच गए हैं। पटाखा उद्योग वायु प्रदूषण के सबसे बड़े कारकों में एक है। इसे प्रतिबंधित करना समय की मांग है । क्योंकि असमय मृत्यु और दिव्यांग होने का बड़ा कारण वायु प्रदूषण बन चुका है । प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए राज्यों का आगे आना स्वागत योग्य है ।
पटाखो पर रोक प्रदूषण से जंग में अच्छी और सार्थक पहल है । प्रदूषण लगाम के लिए कुछ राज्यों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध है, तो कहीं सिर्फ ग्रीन पटाखे की अनुमति दी गई है । सामान्य प्रशासन के जलने से भारी मात्रा में नाइट्रोजन और सल्फर डाइऑक्साइड गैस निकलती है । जो मानव शरीर के लिए बेहद नुकसानदेह होती हैं। विशेषकर उन बुजुर्ग के लिए जो तमाम बीमारियों से जूझ रहे, जबकि ग्रीन पटाखे जलाने पर 40 से 50% तक कम हानिकारक गैस पैदा होती है। नेशनल ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पिछले साल कर्नाटक और तमिलनाडु सहित 19 राज्यों को पटाखे पर प्रतिबंध लगाने के लिए नोटिस जारी किया है। इन राज्यों के 122 शहरों में हवा की गुणवत्ता अनुकूल सीमा से नीचे हैं। इसके बाद दिल्ली सहित छह राज्यों ने अपने यहां पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। शीर्ष न्यायालय ने भी पटाखों पर प्रतिबंध के आदेश पारित कर रखा है। जिसका प्रत्येक राज्य को कड़ाई से पालन करना चाहिए । पटाखे सीमित अवसरों पर इस्तेमाल किए जाते हैं। दीपावली एवं अन्य पर्वो पर पटाखों का इस्तेमाल अधिक मात्रा में किया जाता है, इसे सीमित किया जाना चाहिए । इन पदों पर सारी रात पटाखे जलाए जाते हैं, जो उचित नहीं है। इसके लिए समय सीमा निर्धारित करने की आवश्यकता है। ग्रीन पटाखे की आड़ में प्रतिबंध रसायन का इस्तेमाल दंडनीय अपराध है। इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता ही है वातावरण दूषित होता है। इस पर बहुत जरूरी है। राज्य सरकारों की या जिम्मेदारी बनती है इस पर कड़ी निगरानी रखें । ऐसे खतरनाक पटाखों पर रोक के लिए जन सहभागिता की भूमिका वरदान साबित होगी।
इंडो नेपाल न्यूज़।