बाल्मीकि रामायण में भारतीय संस्कृति का स्वरूप कूट-कूट कर भरा हुआ है– नरसिंह पांडे

बाल्मीकि रामायण में भारतीय संस्कृति का स्वरूप कूट-कूट कर भरा हुआ है-- नरसिंह पांडे

बाल्मीकि रामायण में भारतीय संस्कृति का स्वरूप कूट-कूट कर भरा हुआ है– नरसिंह पांडे
आई एन न्यूज नौतनवा डेस्क:
महर्षि वाल्मीकि जी ने बाल्मीकि रामायण की संस्कृत में रचना की जिसमें भारतीय संस्कृति का स्वरूप कूट-कूट कर भरा हुआ है। और हर किसी को सत मार्ग पर चलने की राह दिखाई ह्रै।
उक्त बाते आज बुधवार को नरसिंह पांडे जिला अध्यक्ष हिंदू युवा वाहिनी महाराजगंज ने महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती मनाते हुए कहीं।
बुधवार को नौतनवा स्थित हिंदू वाहिनी के कार्यालय पर हियुवा
के कार्यकर्ताओं ने महर्षि बाल्मीकि जयंती के अवसर पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई ।
इस अवसर पर उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए हिंदू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष नरसिंह पांडे ने कहा कि उनके द्वारा रचित रामायण में प्रेम त्याग और तप तथा यज्ञ की भावना को महत्व दिया गया है । महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना कर हर किसी को सतमार्ग पर चलने की राह दिखाएं।
ब्लॉक संयोजक राधेश्याम गुप्त ने कहा कि बाल्मीकि रामायण एक महा ग्रंथ है जिसमें बाल्मीकि जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के चरित्र का उल्लेख कर पूरी दुनिया के लोगों को एक अच्छा संदेश देने का कार्य किया है। जिसका अनुसरण हम सभी को करना चाहिए।
इस अवसर पर राधेश्याम यादव, हरिनारायण सिंह लोधी, संतोष मोदनवाल, रामप्यारे यादव, रामानंद चौहान, बबून मिश्रा, ओमप्रकाश वरुण, रवि वरुण, भोला जायसवाल, हरीश चंद्र पासवान, उमेश साहनी आदि लोग मौजूद रहे।
महाराजगंज उत्तर प्रदेश।

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